सरकार का अनुमान फेल: मात्र 10 करोड़ के नकली नोटों का खुलासा हुआ

नई दिल्ली। 8 नवंबर को सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद किए जाने का असली मकसद ब्लैक मनी और फर्जी नोटों को खत्म करना था, जिन्हें आतंकवादियों को फंडिंग और अन्य अपराधों को अंजाम देने में इस्तेमाल किया जाता था। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 27 नवंबर तक केवल 9.63 करोड़ रुपए के 1.39 लाख नकली नोट बैंकिंग सिस्टम में लौटे हैं। यह आंकड़ा बैंकों में जमा किए गए कुल नोटों का 3.4% है।

30 दिसंबर तक हो सकती है आंकड़ों में बढ़ौतरी
नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा 20 दिनों का है, 30 दिसंबर तक इसमें इजाफा हो सकता है। अभी तक वापस आए नोट सरकार की ओर से लगाए अनुमान से कम है। वर्ष 2016 की पहली छमाही में इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट (आईएसआई) ने अनुमान लगाया था कि मार्केट में 400 करोड़ रुपए के नकली नोट बाजार में हैं। इनमें 50% हिस्सेदारी 1,000 रुपए के नकली नोटों की है, जबकि 25% नोट 500 रुपए के हैं।

300 करोड़ रुपए की कीमत के नकली नोट थे चलन में 
इस अनुमान के मुताबिक 300 करोड़ रुपए की कीमत के 500 और 1000 रुपए के फर्जी नोट चलन में थे। लेकिन अब तक इनमें से महज 3.2% नकली नोट ही बैंकों में जमा कराए गए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर नकली नोट अब भी आतंकी समूहों के पास या काला धन जमा करने वाले लोगों के पास हैं, जिन्होंने इन नोटों को वापस नहीं किया है।

आतंकवादी 2 तरीकों से करते हैं नकली नोटों का इस्तेमाल
आतंकवाद से जुड़े मामलों में काम कर चुके एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'यदि हम यह कहते हैं कि आतंकी समूह नकली नोटों का इस्तेमाल करते हैं तो उन्होंने इसे मार्कीट में लगा दिया होगा क्योंकि स्टॉक किए गए इन नोटों का कोई इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। आतंकवादी अपने दोहरे एजेंडे के साथ नकली नोटों को बाजार में उतारते हैं। पहला, अपनी खुद की फंडिंग के लिए और दूसरा हमारी अर्थव्यवस्था को स्थिर करना।'
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