शहडोल चुनाव: कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने हिमाद्री को हराया

राजेश शुक्ला/खरी-खरी। शहडोल लोकसभा में आज हुए मतगणना में भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह ने 60 हजार 383 मतों से जीत कर अपनी जीत को अपराजय जीत बना दिया। सात बार विधानसभा एवं तीसरी बार लोकसभा जीतकर लोगों को यह बताया कि क्षेत्र में उन्हे हराया नही जा सकता। इस जीत से भाजपा में जहां उत्साह का माहौल वही कांग्रेस अपनी हार के मंथन के लिए मजबूर है। हर बार मुंह की खानी पड़ रही है कांग्रेस को फिर भी अपनी गलतियों से सीख नही ले रही है। इस उपचुनाव में भी कांग्रेस ने वही गलतियां दोहराई जो अन्य चुनावों में कर रही थी, पार्टी के हाई प्रोफाइल स्ट्रार प्रचारकों ने मतदाताओं के बीच अपनी छवि व पार्टी के बात को रखने में कामयाब नही हो सकी या यूं कहे कि सत्ता की कमजोरियां बताने में न कामयाब साबित हुई।

भाजपा की जीत यह साबित करती है कि संगठन ने इसे अपनी लड़ाई को मानकर इसे लड़ा और कामयाबी हासिल की। इसके लिए संगठन ने निचले स्तर के कार्यकर्ताओं का बाखूबी इस्तेमाल किया और अपने कार्यकर्ताओं को इस योग्य बनाया कि वह किसी भी परिस्थिति में मुकाबला अपने पक्ष में करने की क्षमता रखते हैं और यही कर इस जीत का सेहरा बांधा तो वही कांग्रेस ने पूरा दारोमदार उस प्रत्याशी पर छोड़ दिया जो अभी राजनीति में कदम ही रखा था। कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन में काफी खामियां थी इन खामियों को समय-समय पर मीडिया ने चेताया भी था किन्तु कांग्रेस के इन बड़े नेताओं के कानों में जूं नही रेंगी इतना ही नही कांग्रेस के बड़े नेता सुरेश पचौरी ने अपनूपपुर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए घोषणा की थी कि हम यह चुनाव जीत गये है यह अति आत्मविश्वास पार्टी कार्यकर्ताओं को ले डूबा तो वही कांग्रेस का दूसरा गुट सिर्फ हवा में काम करते रहे जिनकी मतदाताओं के बीच कोई पैठ नही है। एक सभा में पूर्व विधायक ने जीने मरने की बातें कह कर संगठन को यह बताने का प्रयास जरूर किया किन्तु यह सिर्फ दिखावा बनकर रह गया उन्होने क्षेत्र में कोई मेहनत नही की तो वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी स्थानीय मीडिया की बातों को अनसुना कर अपनी डफली, अपनी राग बजाते रहे और नतीजा आज सबके सामने है। इस हार से एक बार पुन: कांग्रेस को सबक तो मिला है किन्तु यह सबक कितने दिन तक याद रहता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

अति आत्मविश्वास कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ वहीं इनके स्ट्रार प्रचारकों के व्यवहार और इसके बाद कांग्रेस के लोगों का आचरण जनता ने देखा जो घटना ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद ग्राम बड़वाही में हुआ है इसकी गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी। यह भी एक हार का कारण बना है कि आदिवासियों के साथ इस तरह का कांग्रेस के लोगों का व्यवहार यह आदिवासियों को पसंद नही आया है।

इस उपचुनाव में सपाक्स और विप्र समाज की बात कही जा रही थी किन्तु यह कही नजर नही आया, इससे बल्कि भाजपा को फायदा ही हुआ है अन्य समाज के लोगों ने खुलकर भाजपा के साथ हो गये और इसे भाजपा ने अच्छे ठंग से भुनाया तो वहीं विप्र समाज का गुस्सा प्रभारी मंत्री संजय पाठक ने कुछ कम करने का प्रयास किया जिसमें उन्हे सफलता भी मिलती दिखाई दी। ऐसे संयोग बनते रहे जिससे नतीजा आज सबके सामने है।

इस उपचुनाव में भाजपा का चुनावी प्रबंध जबरजस्त रहा जिसका नतीजा सबके सामने है। इस चुनाव प्रबंधन में सत्ता का खुलकर प्रयोग दिखा है, सत्ता पक्ष ने अपने सत्ता का भरपूर फायदा उठाते हुए शासन की योजनाओं को आमजनता सीधे घर पहुंचाया जिससे मुख्यमंत्री की छवि जनता के बीच आज बरकरार बनी हुई है। अनूपपुर में गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने अपना डेरा जमाया हुआ है। ज्ञान सिंह की जीत किसी चमत्कार से कम नही है पहले के पूर्वानुमान में ज्ञान ङ्क्षसह को झुठलाते हुए ज्ञान सिंह ने सफलता अर्जित की इसका श्रेय गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह को जाता है जिन्होने जिले मेें अपनी चुनावी रणनीति को पूरे क्षेत्र में इस ढंग से जमाया कि कांग्रेस चारो खाने चित्त हो गई। इतना ही नही कांग्रेस के विधायक भी इतने बेवस और लाचार रहे कि वोट जुटाने में कामयाब नही हो पाये। पुष्पराजगढ़ विधानसभा में सबसे ज्यादा नाराजगी प्रत्याशी को लेकर थी इस नाराजगी को दूर करने के लिए पूर्व विधायक सुदामा सिंह को विश्वास में लेकर क्षेत्र की जनता को अपने विकास के साथ जनसंपर्क कर लोगों को नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। इसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के साथ प्रभारी मंत्री संजय पाठकी की तिकड़ी ने पूरे चुनाव को उलट फेर कर दिया, संजय पाठक ने बड़वारा, उमरिया, अनूपपुर एवं शहडोल जिले में घूम घूम कर प्रत्येक वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिए रात-दिन एक किया जिसका नतीजा सामने आया और मुख्यमंत्री के भरोसे पर गृहमंत्री और प्रभारी मंत्री खरे उतरे। 

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