
झाबुआ जिले का पेटलावद क्षेत्र प्रदेश के प्रमुख टमाटर उत्पादक इलाकों में गिना जाता है। इस क्षेत्र के रायपुरिया गांव के किसान योगेश सेप्टा ने कहा, ‘नई फसल आने के बाद टमाटर के थोक भाव घटकर औसतन दो से तीन रुपए किलोग्राम ही रह गए हैं। इस कीमत में टमाटर बेचने पर खेती की उत्पादन लागत, फसल तुड़वाने, छंटवाने और इसे पैक कराकर मंडी तक पहुंचाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘हमारा उगाया टमाटर मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कारोबारी खरीदते हैं। हमसे प्रीमियम गुणवत्ता का टमाटर तो खरीद लिया जाता है। लेकिन छंटनी के बाद कुल उत्पादन का करीब 50 फीसद टमाटर बचा रह जाता है जिसे हमें मजबूरन पशुओं को खिलाना पड़ता है या इसे घूरे में डालकर खाद बनाने में इस्तेमाल करना पड़ता है।