कहा जाता है जो भक्त कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां के दर्शन करता है उन सभी भक्तों की मां बिना कहे ही सभी मनोकामना पूरी करती है। मां भगवती के 52 शक्तिपीठों में से 51 शक्तिपीठ भारत में स्थित है, जिसमें से टिहरी जिले में मां सुरकंडा, कुंजापुरी और चंद्रबदनी शक्तिपीठ है। कुंजापुरी शक्तिपीठ टिहरी जनपद के नरेन्द्रनगर के 6 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित है।
स्कन्द पुराण के तहत केदारखंड और देवी भागवत के अनुसार कनखल गंगा तट पर दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किए जाने से नाराज मां भगवती ने क्रोधित होकर यज्ञ में आहुति दे दी और जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वो क्रोधित होकर वहां पहुंचे और सती के शव को अपने त्रिशूल में रखकर मानस खंड जो कि आज उत्तराखंड के नाम से प्रसिद्ध है वहां चल दिए।
कुंजापुरी में सती का कुंज भाग गिरा था इस कारण इस स्थान को कुंजापुरी कहा जाता है। मां शक्ति के नाम पर कुंजापुरी शक्तिपीठ के नाम से यहां मां के मातृत्व स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। टिहरी जिले में स्थित तीनों शक्तिपीठों में से मां कुंजापुरी शक्तिपीठ की अलग महत्ता है, क्योंकि मां यहां अपने मार्तृत्व स्वरूप में विद्यमान है। जिसके चलते वो अपने सभी पुत्रों की हर मनोकामना को बिना कहे ही पूरा करती है।
नवरात्र में मां कुंजापुरी शक्तिपीठ के पुजारी बताते हैं कि शक्तिपीठ में हर साल लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं और शारदीय नवरात्र के दौरान इस सिद्ध पीठ में मां की पूजा अर्चना का विशेष फल मिलता है।