कहते हैं स्त्रियों के चरित्र के बारे में ठीक ठीक अनुमान लगाना किसी के वश में नहीं लेकिन ज्योतिष ने स्त्रियों के लक्षणों व आकार, प्रकार, इत्यादि के आधार पर कुछ भविष्यवाणियां की गईं हैं। पुराने समय में बुजुर्ग शायद इन्हीं बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए पुत्रवधुओं का चुनाव किया करते थे।
शंखिनी
शंखिनी स्वभाव की स्त्रियां अन्य स्त्रियों से थोड़ी लंबी, नाक मोटी, आंखें अस्थिर और आवाज गंभीर होती है। ये हमेशा अप्रसन्न रहने वाली और बिना कारण ही क्रोध करने वाली होती हैं। पति से भी इनकी नहीं बनती और मन हमेशा भोग-विलास में डूबा रहता है। दया भाव नहीं होने के कारण परिवार में रहते हुए भी उनसे अलग ही रहती हैं। ऐसी स्त्रियां संसार में अधिक होती हैं। इन्हें निंदा रस और चुगली में मजा आता है। इनकी लंबी आयु के कारण इनके सामने ही पिता और पति की मौत हो जाती है। अंत समय में बहुत दु:ख भोगती हैं।
चित्रिणी
चित्रिणी स्त्रियां पतिव्रता, स्वजनों पर स्नेह करने वाली, कार्य शीघ्रता से करने वाली होती हैं। इनमें भोग की इच्छा कम होती है और श्रृंगार में मन अधिक लगता है। इनसे अधिक मेहनत वाला काम नहीं होता, परंतु ये बुद्धिमान और विदुषी होती हैं। ये तीर्थ, व्रत और साधु-संतों की सेवा करने वाली होती हैं। दिखने में सुंदर होती हैं और बाल काले होते हैं।
इनका मस्तक गोलाकार, अंग कोमल और आंखें चंचल होती हैं। इनका स्वर कोयल के समान होता है। इस जाति की लड़कियां बहुत कम होती हैं। गरीब परिवार में भी जन्म हुआ हो, तो भी ये अपने भविष्य में रानी की तरह रहती हैं और उनकी एक संतान को राजयोग होता है। इस जाति की लड़कियों की आयु लगभग 48 वर्ष होती है।
हस्तिनी
हंसमुख स्वभाव की इन स्त्रियों में भोग-विलास की इच्छा अधिक होती है। धार्मिक कार्यों के प्रति इनकी आस्था नहीं होती। शरीर थोड़ा मोटा और प्रवृत्ति आलसी होती हैं। इनके गाल, नाक, कान और मस्तक गोरे होते हैं। क्रोध अधिक आने पर कभी-कभी स्वभाव बहुत क्रूर हो जाता है।
इनके पैरों की अंगुलियां टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं। इनकी संतानों में लड़के अधिक होते हैं। ये बिना रोग के ही रोगी बनी रहती हैं। इनका पति सुंदर और गुणवान होता है। अपने झगड़ालू स्वभाव के कारण ये परिवार को क्लेश पहुंचाती हैं, खासतौर पर पति इनसे दु:खी होते हैं।
पुंश्चली
पुंश्चली स्वभाव की लड़कियों के मस्तक का चमकीला बिंदु भी गंदा ही दिखता है। ऐसी महिलाएं अपने परिवार के लिए दु:ख का कारण बनती हैं। इनमें शर्म नहीं होती और अपने पति की अपेक्षा दूसरे पुरुषों में इनका मन अधिक लगता है। इसलिए कोई इनका मान-सम्मान नहीं करता।
पुंश्चली स्त्रियों में युवावस्था के लक्षण 12 वर्ष की आयु में ही दिखाई देने लगते हैं। इनकी आंखें बड़ी और हाथ-पैर छोटे होते हैं। स्वर तीखा होता है। इनके हाथ में दो शंख रेखाएं व नाक पर तिल होता है।
पद्मिनी
पद्मिनी स्त्रियां धर्म में विश्वास रखने वाली, माता-पिता की सेवा करने वाली व अति सुंदर होती हैं। लंबे कद, कोमल बाल, मधुर बोली वाली ये महिलाएं पहली ही नजर में सभी को आकर्षित कर लेती हैं। इनकी आंखें सामान्य से थोड़ी बड़ी होती हैं। ये अपने पति के प्रति समर्पित रहती हैं। इनका विवाह भी जिन पुरुषों से होता है, वह भी भाग्यशाली होता है।
इनके नाक, कान और हाथ की अंगुलियां छोटी होती हैं। इसकी गर्दन शंख के समान रहती है व इनके मुख पर सदा प्रसन्नता दिखाई देती है। ये हर बड़े पुरुष को पिता के समान, हम उम्र पुरुषों को भाई तथा छोटों को पुत्र के समान समझती हैं। यह सौभाग्यवती, अल्प संतान वाली, पतिव्रताओं में श्रेष्ठ, योग्य संतान उत्पन्न करने वाली तथा आश्रितों का पालन करने वाली होती हैं।