मोहनदत्त शर्मा/श्योपुर। जिला प्रशासन द्वारा भले ही छोटी सी लापरवाही बरतने पर अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर वाहा-वाही लूटी जा रही हो, लेकिन कई गंभीर आरोपों में घिरे होने के बाद भी महिला सशक्तिकरण एवं बाल संरक्षण के प्रभारी अधिकारी के खिलाफ प्रशासन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की है। सूत्रों की माने तो महिला एवं सशक्तिकरण अधिकारी को प्रशासन ने ही हरी झंडी दिखा दी है। यही वजह है कि वेतन के बदले आबरू मांगने व फोस्टर केयर योजना में बच्चों का पैसा खाने जैसे गंभीर आरोप लगने व सिद्ध होने के बाद भी महिला सशक्तिकरण अधिकारी बेखौफ होकर अपनी कुर्सी पर जमे हुए हैं।
मालूम हो कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल सरंक्षण अधिकारी अनिल कुमार शाक्य पर उनके ही विभाग में कार्यरत महिला लक्ष्मी रावत ने वेतन जारी करने के बदले आबरू मांगने की शिकायत जिला कलेक्टर से लेकर श्योपुर दौरे पर आए आईजी, प्रभारी मंत्री, व सांसद तक से की है। वहीं महिला सशक्तिकरण अधिकारी पर फोस्टर केयर योजना में भ्रष्टाचार कर गरीब बच्चों का पैसा हड़पने के आरोप भी सिद्ध हो चुके हैं, लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। जिससे साफ जाहिर है कि जिला प्रशासन के जि मेदार अधिकारी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के इस खेल में लिप्त है। sexual harassment at workplace जैसे केस में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
पन्ना तक पहुुंंच रहा है फोस्टर केयर योजना का पैसा
सूत्रों की माने तो महिला सशक्तिकरण अधिकारी अनिल शाक्य द्वारा पन्ना जिले में रहने वाली एक महिला बीना शर्मा के नाम पर फोस्टर योजना के तहत पैसा जारी किया गया है। पन्ना निवासी बीना शर्मा के नाम से आईडीबीआई बैंक के खाता क्रमांक 1563104000009133 में गत 16 सितम्बर 2015 को 30 हजार रुपए जारी किए गए, वहीं 27 जून 2016 को 8 हजार रुपए श्योपुर कोषालय से ई-पेमेंट के माध्यम से जारी किए हैं। यहां बात दें कि उक्त महिला पन्ना की मूल निवासी होने के साथ-साथ वहीं पर निवास करती है। अब सवाल यह है कि आखिर फोस्टर केयर योजना का लाभ पन्ना जिले तक किस आधार पर दिया जा रहा है?
आखिर क्यों नहीं हुई कार्यवाही
सरकार ने गरीब बच्चों के हित संरक्षण के लिए फोस्टर केयर योजना के माध्यम से गरीब बच्चों को लाभ पहुंचाने की कवायद शुरू की थी, लेकिन गरीब बच्चों के नाम पर भी महिला सशक्तिकरण एवं बाल सरंक्षण के प्रभारी अनिल शाक्य ने पैसा हड़प कर लिया है। नगर पालिका में भृत्य की नौकरी करने वाले नौशाद खां की तीन पुत्रियों में से एक मृत बच्ची के नाम पर भी कई माह से महिला सशक्तिकरण अधिकारी द्वारा पैसा हजम कर लिया था। जिसकी शिकायत भी की गई थी। वहीं महिला सशक्तिकरण में क्षेत्रीय कार्यकर्ता की नौकरी करने वाली लक्ष्मी रावत ने भी वेतन जारी करने के बदले आबरू मांगने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। इतना सब कुछ होने के बाद भी आखिर महिला सशक्तिकरण अधिकारी पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई है? यह समझ से परे है।
नोटिस देकर भूला प्रशासन
फोस्टर केयर योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद श्योपुर के अनुविभागीय अधिकारी आरके दुबे ने गत 16 सितम्बर 2016 को कारण बताओ नोटिस जारी कर जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे, लेकिन नोटिस जारी करने के बाद प्रशासन ने इस मामले को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। यही वजह है कि अभी तक महिला सशक्तिकरण अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।
इनका कहना है...
-जब-जब मैंने वेतन की मांग की है, महिला सशक्तिकरण के बाल संरक्षण अधिकारी अनिल शाक्य ने मुझसे अभद्रता की है। वेतन के बदले कई बार आबरू की भी मांग की है। जिसकी की शिकायत मैंने आईजी, सांसद सिंधिया, प्रभारी मंत्री तक से की है, लेकिन मुझे कोई न्याय नहीं मिला है।
लक्ष्मी रावत
क्षेत्रीय कार्यकर्ता, महिला सशक्तिकरण वि ााग
मेरे द्वारा नोटिस दिया गया था। जिसका जवाब इनके द्वारा दिया गया है, लेकिन संतोष जनक जवाब नहीं होने के कारण आगे की कार्रवाई करने के लिए जांच प्रकरण को जिलाधीश की ओर प्रेषित किया जा रहा है।
आरके दुबे
एसडीएम, श्योपुर