गुजरात में 500 से ज्यादा दलितों ने हिंदु धर्म त्याग दिया

गुजरात। 500 से अधिक दलितों ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया है. इनमें से अधिक लोगों ने इस फैसले की वजह ऊना में दलितों के साथ हुए अत्याचार को बताया. अहमदाबाद के न्यू नरोदा एरिया में रहने वाली 26 साल की संगीता परमार ने कहा, 'हमलोग बौद्ध धर्म अपनाने के बारे में पिछले छह महीने से सोच रहे थे. ऊना घटना ने सारे संदेह को दूर कर दिया.'

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, दशहरा के पावन मौके पर बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले इस कार्यक्रम को गांधीनगर में कलोल के दानिलीमाडा में सहित कई अन्य इलाकों में आयोजित किया गया था.

इस मौके पर कलोल के निवासी सरकारी कर्मचारी शशिकांत ने बताया, 'छह महीने पहले मेरा दोस्त हमारे इलाके में एक फ्लैट खोज रहा था, लेकिन उसे बताया गया कि उसकी जाति के लोगों के लिए हमारे यहां कोई घर नहीं है. इसके बाद ऊना घटना हुई और जिसने हमें बौद्ध धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर दिया.'

अहमदाबाद के दीपांशु पारिख की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. 23 साल के दीपांशु का कहना है कि हमलोग चांदखेड़ा इलाके में अपना घर बेचकर जीवराज पार्क में घर लेना चाहते थे. बिल्डर ने बताया कि उसकी स्कीम हमारे लिए नहीं है. ऐसे में यदि हमलोगं उन जैसे नहीं हैं तो फिर भला क्यों उनके धर्म का अनुसरण करें.

क्यों भड़का दलितों का गुस्सा?
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले दलित समुदाय के कुछ सदस्यों की पिटाई करते लोगों का एक वीडियो वायरल हुआ था. एक मरी हुई गाय की खाल उतारने पर दलित बच्चों की पिटाई करने वाले लोगों ने खुद को गोरक्षक होने का दावा किया था. इसके बाद दलितों का गुस्सा फूट पड़ा था और सौराष्ट्र में सात दलित युवकों ने आत्महत्या के प्रयास किए थे. समुदाय के गुस्साए लोगों ने सरकारी बसों पर पथराव भी किया था. इस मामले में गुजरात पुलिस ने 11 जुलाई की घटना के संबंध में सात अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था.

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