उत्तराखंड में सिर्फ एक भजन के लिए 3.66 करोड़ रूपए का भुगतान

देहरादून/हल्द्वानी। सूबे की जनता के आगे हरीश रावत सरकार भले ही आर्थिक तंगी का रोना रो रही हो, लेकिन सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आपदा और केदार घाटी के पुनः निर्माण के फंड से कई करोड़ रूपए सरकार ने विज्ञापन के नाम पर पानी की तरह बहा दिया। वहीं सिर्फ एक भजन के लिए गायक कैलाश खेर को 3.66 करोड़ रूपए का भुगतान करने का खुलासा हुआ है।

दरअसल, ये उस राज्य का हाल है, जहां लोग आपदा की आफत से गुजर रहे हैं। सरकार केंद्र से मदद मांग रही है। उसी राज्य में बाबा केदारनाथ के एक भजन के लिए तीन करोड़ 66 लाख रूपए खर्च कर दिया गया। एक दस्तावेज में इस बात का खुलासा हुआ है कि खेर की कंपनी को केदार नाथ में सीरियल और टेलर के लिए पहली किश्त के रूप में 3 करोड़ 66 लाख 34 हजार 300 रूपए दिए गए हैं।

ये वही कैलाश खेर हैं, जो पिछले महीने लॉंचिंग के दौरान कह रहे थे कि हमारा काम उतना ही मीठा हुआ है, जितना सरकार ने उसमे गुड़ डाला है। सरकार ने ये पैसा आपदा प्रबंधन के फंड से जारी किया है। रविवार को सरकार पूरे तामझाम के साथ केदारनाथ पहुंची थी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी वहां पहुंच कर सीरियल के टेलर को लॉंन्च किया था।

केदारनाथ भजन संध्या में कई मशहूर फिल्मी हस्तियां नजर आईं थी, लेकिन इस भजन की लागत सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। RTI से मिली जानकारी के मुताबिक इस भजन की कीमत 3 करोड़ 66 लाख 74 हजार 304 रूपए है और मजे की बात यह है कि इस भारी भरकम रकम का भुगतान केदारघाटी यानी रुद्रप्रयाग जिला आपदा फंड से किया गया है।

वहीं भजन की इतनी कीमत और बेवजह खर्च पर नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जल्द ही विधान सभा चुनाव होने वाले हैं और सरकार को अपनी छवि की इतनी चिंता है कि कैलाश खेर के इस भजन के खर्चे को वो पर्यटन प्रचार से जोड़कर देख रही है। सरकार कर्मचारियों को तनख्वाह देने के नाम पर फंड नहीं होने का रोना रो रही है और अब तक 1 अरब रूपए सिर्फ विज्ञापन पर खर्च कर दिया है।

वहीं वित्त मंत्री इंदिरा हृद्येश का कहना है कि पर्यटक बुलाने के लिए खर्चा तो करना ही होता है। हर बात पर विपक्ष को आरोप नहीं लगाना चाहिए। 

बहरहाल कभी महाबली खली का शो, तो कभी टिहरी लेक फेस्टिवल पर करोड़ों रुपए खर्च करने पर रावत सरकार को विपक्ष पहले भी कटघरे में खड़ा करता रहा है। अब विपक्ष के पास एक और मुद्दा रावत सरकार को घेरने के लिए मिल गया है।

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