भाजपा नेता शिवराज डाबी: अमेरिका का मोस्टवांटेड या कांग्रेस का फर्जी बवंडर

भोपाल। मप्र कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने आज जारी एक प्रेस बयान में मप्र भाजपा की आईटी सेल के संयोजक शिवराज सिंह डाबी को अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेश्टिगेस (एफबीआई) द्वारा घोषित भगोड़ा बताया है परंतु इस मामले में शायद वो यह छुपा गए कि डाबी को मोस्ट वांटेड की लिस्ट से हटाया जा चुका है। जिस मामले का जिक्र मिश्रा अपने प्रेस बयान में कर रहे हैं, उसमें डाबी को निर्दोष पाया गया है। अब वो ना तो साइबर अपराधी हैं और ना ही अमेरिका के मोस्ट वांटेड।

श्री मिश्रा ने आज जारी प्रेस रिलीज में कथित खुलासा करते हुए बताया है कि अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेश्टिगेस (एफबीआई) ने मप्र भाजपा आईटी सेल के संयोजक शिवराजसिंह डाबी को फरार सायबर अफराधी सूची में रखा गया है। इतना ही नहीं डाबी की तलाश के लिए अंग्रेजी, पंजाबी और हिन्दी भाषा में पोस्टर भी जारी किये गये थे, डाबी एक इंटरनेशनल भगोड़ा है, जिस पर कैलीर्फोनिया की कंपनी में धोखाधड़ी और इंटरनेट सर्वर से छेड़छाड़ी का मामला दर्ज है। वर्ष 2008 में अमेरिका की अदालत ने डाबी को गुनाहगार घोषित किया था। श्री मिश्रा ने कहा कि शिवराजसिंह डाबी मप्र, भाजपा आईटी सेल के न केवल संयोजक बन गये हैं, वे भाजपा के लिए काम कर रहे हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा अपराधियों के बलबूते राजनीति कर रही है।

इस मामले में जब भोपाल समाचार ने छानबीन की तो एक अन्य जानकारी सामने आई। पता चला है कि डाबी पहले अमरीका में सोफ्टवेयर इंजीनियर का कार्य करते थे। उसी दौरान वो एक कंपनी से कार्य को छोड़कर दूसरी कंपनी में अच्छे पद और वेतन पर नियुक्त हो गए बस यहीं से पहली कंपनी ने साजिश रचते हुए डाबी पर अनर्गल आरोप लगाते हुए उन्हें अमरीका में कार्य ना करने की साजिश रची और एक झूठे साइबर अपराध केस में फंसाना चाहा। शिवराज अपनी पत्नी और बच्चों को भारत छोड़ने आये उसी समय कंपनी के अधिकारीयों ने अमेरिका के कानून का गलत फायदा उठाते हुए शिवराज सिंह डाबी को भगोड़ा घोषित करवा एफबीआई की वांछित सूची में नाम दर्ज करवा दिया।

इस बात की खबर डाबी को नहीं हुई और ना ही एफबीआई ने कोई नोटिस डाबी को दिया और ना ही संपर्क किया जबकि डाबी का पासपोर्ट, फेसबुक अकाउंट, मेल एकाउंट, फोन नंबर सब चालू थे। अखबारों में खबर छपने के बाद डाबी ने दूतावास से संपर्क कर मदद मांगी। वहां से उन्होंने एफबीआई के अधिकारीयों से संपर्क कर उनके क़ानूनी प्रक्रिया में सभी सहयोग की बात कही। डाबी के इस कदम से अधिकारीयों ने सहयोग करते हुए जांच की और डाबी को निर्दोष पाया एवं डाबी का नाम सूची से हटा दिया।

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