
मध्यम वर्गीय परिवार को अपनी बेटी की इस कामयाबी पर फख्र है। सभी का मानना है कि श्वेता जिस लगन से पढाई करती थी उनको पता था कि वह एक दिन बड़ी ऑफिसर बनेगी और ये उसने कर दिखाया। अपनी इस कामयाबी पर श्वेता बेहद खुश है, क्योंकि पूरे प्रदेश में उन्होंने टॉप किया है। उनका खुद मानना है कि वह बहुत बड़ी पढ़ाकू नहीं रही हैं, स्कूल में भी औसत ही थी, लेकिन जो पढती थी उसे सीखती थी, रट्टा नहीं लगाती थी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से जूलॉजी आनर्स किया और वहीं पर तैयारी भी की। कुछ दोस्तों का ग्रुप था और उसी ग्रुप में स्टडी करते थे। पहले कुछ ज्यादा समय दिया और बाद में जब स्लेब्स पूरा हो जाता तो स्लम में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ाते। वे अपनी पढ़ाई के साथ कोचिंग भी देते थे ताकि परिवार पर आर्थिक बोझ न पड़े। श्वेता ने कहा कि सिर्फ घंटों बैठकर पढ़ने से सफलता नहीं मिलती आप गंभीरता से सीखें और समझे तो कुछ भी मुश्किल नहीं।