नईदिल्ली। पत्नी और बेटी की आत्महत्या के बाद अपने बेटे के साथ सुसाइड करने वाले वरिष्ठ आईएएस अफसर एवं कॉरपोरेट मंत्रालय के पूर्व डीजी बीके बंसल का सुसाइड नोट सामने आया है। इस सुसाइड नोट में सीबीआई पर 'घिनौनी कार्रवाई' का आरोप लगा है। सुसाइड नोट के अनुसार रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआई ने श्री बंसल को गिरफ्तार तो किया ही, साथ ही पूरे परिवार को इस तरह से प्रताड़ित किया कि सबने आत्महत्याएं कर लीं। आत्महत्या से पहले बंसल का सवाल था कि 'मुझे गिरफ्तार करते, मेरी पत्नी और बेटी के साथ इतना गंदा व्यवहार क्यों किया।'
बुधवार को सार्वजनिक हुए सुसाइड नोट में पिता-पुत्र ने सीबीआई के डीआईजी स्तर के एक अधिकार, दो महिला अधिकारियों व इस मामले के जांच अधिकारी (आईओ) और एक हवलदार समेत पांच अधिकारियों का जिक्र किया है।
क्या है सुसाइड नोट का मजमून
बंसल ने नोट में आरोप लगाया है कि उनकी गिरफ्तारी के बाद 18 जुलाई रात डीआईजी संजीव गौतम के आदेश पर एसपी अमृता कौर और डीएसपी रेखा सांगवान सहित अन्य सीबीआई कर्मियों की टीम उनके घर पहुंची। उनकी बेटी और पत्नी को रातभर टॉर्चर किया। पत्नी के साथ मारपीट भी किया गया। डीआईजी पर उन्होंने आरोप लगाया कि मेरे सामने ही उन्होंने दोनों को जमकर टॉर्चर करने को कहा था। उन्होंने यह कहा था कि इतना टॉर्चर करेंगे की तेरी सात पुश्ते भी सीबीआई को याद रखेंगी। पत्नी और बेटी को हम जिंदा लाश बना देंगे। डीआईजी ने कहा कि मैं अमित शाह का आदमी हूं, मेरा कोई क्या बिगाड़ लेगा।
मैं यह सुसाइड सीबीआई अधिकारियों के टॉर्चर करने की वजह से कर रहा हूं...। दो महीने पहले मेरी पत्नी और बेटी की का मृत हालत में मिलना सुसाइड नहीं, बल्कि सीबीआई द्वारा उनका टॉचर करने के कारण मौत के लिए उन्हें मजबूर करना था।
मूलरूप से हिसार के रहने वाले बी.के. बंसल अपने पूरे परिवार के साथ नीलकंठ अपार्टमेंट में रहते थे। 19 जुलाई को उनकी पत्नी व बेटी ने खुदकुशी की थी। 26 अगस्त को सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए मामले में मामले में उन्हें जमानत मिली थी। इसके बाद पिता-पुत्र यहां आकर रहने लगे थे। 27 सितम्बर को इन दोनों ने भी घर में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली।
अपने नोट में बंसल व उनके बेटे ने आरोपी अधिकारियों की सीबीआई डायरेक्टर से जांच करा कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की मांग की है। साथ ही यह भी कहा है कि उनके झूठ का सच सामने लाने के लिए उनका ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ कराया जाए। संभवत: पिता-पुत्र ने हस्तलिखित नोट सीधे सीबीआई डायरेक्टर या फिर किसी अन्य विभाग के अधिकारी को डाक के द्वारा भेज दिए और उसकी फोटोकॉपी कराकर उसे घर में रख दिया था।