पायरेटेड फिल्में देखना कोई अपराध नहीं: हाईकोर्ट | High Court Decision for pirated films

मुंबई। बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी फिल्‍म की पायरेटेड कॉपी देखने को कॉपीराइट एक्‍ट के तहत अ‍पराध मानना सही नहीं है। जस्टिस गौतम पटेल ने कहा, ”कॉपीराइट सुरक्षित मैटेरियल को देखना कोई अपराध नहीं, बल्कि उसे नुकसान पहुंचाने के लिए वि‍तरित करने, सार्वजनिक ताैर पर दिखाने और बिना इजाजत बेचने और किराए पर देने में है। उन्‍हाेंने इंटरनेट सर्विस प्राेवाइडर्स (ISP) से ‘एरर मैसेज’ से ”viewing, downloading, exhibiting or duplicating’ a particular film is a penal offence” (किसी फिल्‍म को देखना, डाउनलोड करना, दिखाना या कॉपी बनाना दंडनीय अपराध है) को हटाने को कहा है। 

बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कॉपीराइट के उल्‍लंघन में बंद किए गए यूआरएल पर और व्‍यापक संदेश दिखाया जाए। जस्टिस पटेल ने यह टिप्‍पणी पिछले महीने एक आदेश में की थी, जिसमें कहा गया था कि एक ISP ने ऐसा संदेश वेबसाइट पर दिखाया कि दर्शक कुछ समझ नहीं पाए।

हाई कोर्ट ने हाल ही में फिल्‍म ढिशूम के निर्माताओं की याचिका पर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को कई यूआरएल ब्‍लॉक करने को कहा था। अदालत ने ISP से ब्‍लॉक्‍ड वेबसाइट्स पर एक ‘एरर मैसेज’ दिखाने को कहा था ताकि वास्‍तविक ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर असर न पड़े। इस मैसेज में सारी जानकारी दी जाएं, इसपर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए जस्टिस पटेल ने कहा, ”अदालत में टाटा कम्‍युनिकेशंस की तरफ से ओमप्रकाश धरमानी मौजूद हैं। वे कहते हैं कि टाटा कम्‍युनिकेशंस और लगभग सभी अन्‍य ISP जो फायरवाल इस्‍तेमाल करते हैं, उसकी सॉफ्टवेयर सीमाएं हैं- यह 32 केबी से ज्‍यादा का संदेश दिखाने की इजाजत नहीं देता। यह बचकाने तौर पर छोटा आकार है।”

जस्टिस पटेल ने कहा, ”मूल उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखा जाना चाहिए ताकि जिस व्‍यक्ति‍ को प्रतिबंध के आदेश से दिक्‍कत हुई है, उसे उसका निदान मिले और किस अदालत में वह अपील कर सकता है, इसकी जानकारी दी जाए।” अदालत ने ISP से प्रतिबंधित यूआरएल पर एक ‘जेनेरिक संदेश’ जाेड़ने को कहा है जिसमें कहा जाएगा कि वेबसाइट अदालत के अादेश की वजह से प्रतिबंधित की गई है और अगर किसी को दिक्‍कत है तो वह ISP के नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकता है।

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