संघ के निशाने पर शिवराज, विदाई सुनिश्चित

उपदेश अवस्थी/भोपाल। शिवराज सिंह चौहान का सिंहासन से उतरने का वक्त आ गया है। व्यापमं से शुरू हुआ यह सिलसिला बालाघाट पर खत्म होता नजर आ रहा है। इस बार भाजपा या संघ का एक वर्ग नहीं बल्कि पूरा का पूरा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शिवराज सिंह के खिलाफ हो गया है। प्रदेश में शिवराज विरोधी लहर चल ही रही है। अत: संघ के नेताओं ने तय कर लिया है कि अगला चुनाव शिवराज सिंह के नेतृत्व में नहीं लड़ा जाएगा। अब केवल यह तय करना शेष रह गया है कि शिवराज सिंह की विदाई कब और किस तरह से की जाए कि बात भी बन जाए और शिवराज का सम्मान भी बना रहे। 

ग्वालियर में बुधवार से शुरू हुई भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का शुभारंभ करते हुए सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि जब तंत्र हावी होने लगता है, तो मंत्र चला जाता है। हम तंत्र के ऊपरी आवरण को ध्यान में रखने लगे हैं। उनके इस बयान से तंत्र को अफसरशाही और मंत्र को पार्टी विचारधारा से जोड़कर देखा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शिवराज सिंह को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सहस्त्रबुद्धे की बात को दीनदयाल उपाध्याय के अनुभवों से जोड़कर देखा जाना चाहिए। 

बता दें कि व्यापमं मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान के उलझने की पूरी संभावनाएं थीं। शिवराज सिंह भी विचलित हो उठे थे। लंबे समय तक तनाव में रहे और चारों ओर से घिर भी गए थे। बात इस्तीफे तक आ गई थी लेकिन तभी एक नया रास्ता सूझा और सबकुछ सामान्य होता चला गया। सीबीआई जांच के बाद तो जैसे व्यापमं का मुद्दा ठंडा ही हो गया लेकिन यह खत्म नहीं हुआ है। शिवराज सिंह के सहयोगियों का मानना था कि अब सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ। किसान, बेरोजगार, कर्मचारी और व्यापारी हर वर्ग में शिवराज का विरोध दिखाई देने लगा। बालाघाट कांड के बाद यह आरएसएस में निचले स्तर तक पहुंच गया है। सोशल मीडिया पर स्वयं सेवक शिवराज के नाम पर चूड़ियां पोस्ट कर रहे हैं। 

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