हुर्रियत को सबक देना जरूरी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अशांत कश्मीर घाटी में आखिरकार केंद्र ने अमन की राजनीतिक पहल शुरू कर दी है। अट्ठाईस सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंचा और उसने कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों से बातचीत शुरू की। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हुर्रियत नेताओं को भी बातचीत के लिए आमंत्रित किया, पर उन्होंने बातचीत में दिलचस्पी नहीं दिखाई। प्रतिनिधिमंडल के घाटी पहुंचने से पहले अलगवावादी संगठनों के उकसावे पर भीड़ ने हिंसक प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन कार्यालय में आग लगा दी। हालांकि अलगाववादी नेता नजरबंद हैं, फिर भी वे लोगों को उकसाने में कामयाब हो रहे हैं।

हुर्रियत की यह हरकत नई नहीं है। जब भी केंद्र से घाटी में अमन की कोई पहल होती है, वह उसमें खलल डालने की कोशिश करता है। न तो वह राजनीति की मुख्यधारा में आना चाहता है और न बातचीत के जरिए समस्या के समाधान को तैयार दिखता है। अच्छी बात है कि कश्मीर के हालिया हालात पर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने एकजुटता दिखाई और उनके प्रतिनिधि घाटी के हालात का जायजा लेने, वहां के लोगों से बातचीत करने गए। इससे अलगाववादी संगठनों का मनोबल कुछ कमजोर होगा। पिछले दिनों कश्मीर के विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली आया था और प्रधानमंत्री से मिल कर घाटी में राजनीतिक पहल की गुजारिश की थी। उसके बाद ही केंद्र से यह प्रतिनिधिमंडल वहां गया है। इससे घाटी के लोगों में विश्वास बहाली की उम्मीद जगी है।

ऐसे में कश्मीर के अवाम का दिल जीतना जरूरी है। उनमें यह भरोसा पैदा करना आवश्यक है कि केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दल उनके साथ खड़े हैं। कश्मीर को लेकर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद नहीं है। जब-जब घाटी में हालात तनावपूर्ण हुए हैं, लोगों का केंद्र पर से विश्वास डिगा है, सर्वदलीय एकजुटता से वहां के लोगों का भरोसा जीतने में मदद मिली है। अलगाववादी संगठनों को इसी तरह अलग-थलग किया जा सकता है। कश्मीर के लोगों से शुरू हुआ संवाद का सिलसिला बना रहना चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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