रायसेन। मप्र के पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने चिटफंड ठगी मामले में कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद 20 मिनट में मिली जमानत को अपनी जीत की तरह पेश किया और तेज आवाज में इस बात की दावेदारी की थी कि कंपनी से उनका कोई लेनादेना नहीं है लेकिन आज एडवोकेट विजय धाकड़ ने खुलासा किया है कि फ्रॉड करने वाली कंपनी से उनका ना केवल लेना देना था बल्कि वो कंपनी के चयरमैन भी हैं। रायसेन के जिस खाते में निवेशकों के पैसे जमा हुए, उसमें भी अभिषेक भार्गव के ही दस्तावेज लगे हैं। बता दें कि अभिषेक भार्गव ने दावा किया था कि यदि कंपनी से उनका कोई रिश्ता निकल आए तो वो आत्महत्या कर लेंगे।
यदि राजनैतिक षडयंत्र है तो प्रमाणित करें
भोपाल में हुई प्रेसवार्ता में अभिषेक भार्गव ने इस मामले को राजनैतिक षडयंत्र और मंत्री पिता को बदनाम करने की साजिश बताया था। बसंत उपाध्याय के एडवोकेट विजय धाकड़ ने अभिषेक के इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए चुनौती दी है कि वो षडयंत्र को प्रमाणित करके बताएं। बुधवार को इस मामले में एडवोकेट धाकड़ ने प्रेस वार्ता में इस पूरे मामले की वास्तु स्थिति से स्पष्ट कराते हुए कहा कि मंत्री गोपाल भार्गव और उनके पुत्र अभिषेक भार्गव द्वारा मुझ पर जो राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाने का आरोप लगाया है। अगर वो सिद्ध कर देंगे तो वो उसी दिन से वकालत छोड़ देंगे। अधिवक्ता विजय धाकड़ ने कहा कि 39 वर्ष से वकालत कर हूं मेरे ऊपर पहली बार किसी ने आरोप लगाया और मंत्री गोपाल भार्गव व उनके पुत्र अभिषेक भार्गव द्वारा दी गई प्रतिक्रिया अत्यंत खेदजनक है।
अभिषेक भार्गव ने न्यायालय को टारगेट किया है
उन्होंने जो कहा कि राजनैतिक षडयंत्र के तहत आरोपी बनाया गया है जो यह इंगित करना है कि माननीय न्यायालय भी राजनीति में शामिल है जो की माननीय न्यायालय की स्पष्ट अवमानना भी है। न्यायालय द्वारा गुणदोष के आधार पर दस्तावेजों एवं मौखिक साक्ष्य देखते हुए ही धारा 319 के तहत आवेदन को स्वीकार किया गया है। मेरे बारे में यह आरोप अंत्यन्त भी घृणास्पद है कि मैंने प्रकरण में द्वेष भावना के कारण उन्हें आरोपी बनाया है मैं ने हमेशा ही अपने पेशे को पूजा की तरह मानकर कार्य किया है यह मेरे को जानने वाले भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी मालूम है। मैं उनके इस आरोप से अत्याधिक आहत हूं।
कंपनी में चेयरमैन है मंत्री पुत्र
भले ही रायसेन में हुए चिटफंड घोटाले में आरोपी बनाए गए मंत्री पुत्र अभिषेक भार्गव इस मामले में अपने आप को अलग थलग बता रहे है लेकिन इस पूरे मामले में वास्तु स्थिति को स्पष्ट करते हुए आरोपी बसंत उपाध्याय के वकील विजय धाकड़ ने बताया कि इस कंपनी के पंजीकरण प्रमाण पत्र कॉर्पोरेट पहचान संख्या यू67120डीएल2012पीटीसी 2439934 वर्ष 2012-2013 सबुरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड का पंजीकरण कंपनी अधिनियम 1956(1956-1) के अंतर्गत हुआ है और इसका पंजीकरण प्रमाण पत्र 22 अक्टूबर 2012 को दिल्ली से जारी किया गया है और जिसमें अभिषेक भार्गव पुत्र गोपाल भार्गव का नाम भी है और इस कंपनी में चेयरमैन है। कंपनी में अभिषेक भार्गव के पास 51 प्रतिशत शेयर हैं। कंपनी अधिनियम के अनुसार सर्वाधिक शेयर होेन के कारण अभिषेक भार्गव कंपनी की हर गतिविधि के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं। वहीं रायसेन यूनियन बैंक की ब्रांच में खोले गए एकाउंट में भी उनके पहचान दस्तावेज लगाए गए है और हस्ताक्षर है।