नौगजे बाबा की मजार: शिवमंदिर से आती है रेशमी चादर, रिश्ते तय होते हैं

राजस्थान। टोंक में पुराने बनास पुल के पास कोली समाज के आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में न सिर्फ शिव मंदिर से लाकर रेशमी चादर नौ गजे बाबा के मजार पर चढ़ाई जाती है बल्कि वहां वैवाहिक रिश्ते भी मजार के सामने ही तय किया जाते हैं। मान्यता है कि नौगजे बाबा के सामने जो रिश्ते जुड़ते हैं वो पीढ़ियों तक नहीं टूटते। दाम्पत्य जीवन मधुर रहता है। 

टोंक शहर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर बनास नदी के पुराने पुल के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर और नौगजे बाबा का मजार हमेशा से ही सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल रहा है। हालांकि नौगजे बाबा कौन थे और कहां से आए थे इसको लेकर तो किसी के पास भी जानकारी नहीं लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के नौ गाजियों में से एक थे। ये मजार उन्हीं की है।

बनास के दामन में स्थित मजार को लेकर भले ही किवदंतियां कुछ भी हों, लेकिन आज भी कोली समाज के लोगों की नजर में इनका दर्जा भगवान शिव के समान है और ये लोग अपने वार्षिक मेले में ना सिर्फ मंदिर से लाकर यहां रेशमी चादर चढ़ाते हैं बल्कि अपने कई मांगलिक कार्य भी इसी जगह तय करते हैं।

चली आ रही परपंरा के अनुसार यहां विवाह योग्य लड़के और लड़कियों को एक दूसरे मिलवाया या फिर दिखाया जाता है और रजामंदी होने पर यहीं रिश्ता भी तय कर दिया जाता है। कोली समाज के लोगों द्वारा शिव मंदिर से पूजा अर्चना के साथ लाई जाने वाली रेशमी चादर की परंपरा को भी मौहम्मद शाहिद अनूठी मानते हैं। उनकि मानें तो यहां आने वाले कोली समाज के लोग पीलू के पेड़ पर मन्नत का धागा भी बांधते हैं और मन्नत के पूरी होने पर उसे खोल अपना वचन भी निभाते हैं।

इसी दरगाह से जुड़े एक अन्य रईस अंसारी कहते हैं कि ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं और देखने को मिलता हो कि प्रदेश और देश के अनेक हिस्सों से एक ही समाज के लोग किसी विषेश दिन यहां पहुंच मजार के सामने अपने मांगलिक रिश्ते तय करते हों।

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