ग्वालियर। मंत्री से लेकर पार्षद तक खबरों से अपडेट रहने के लिए हर किसी को अखबार की जरूरत होती है लेकिन तुर्रा देखिए अपनी यह जरूरत भी जनप्रतिनिधिगण सरकारी खजाने पूरी करते हैं। महज 60 रुपए का अखबार भी अपनी जेब से नहीं खरीदते। ऐसे तमाम फिजूलखर्चों के कारण जनता पर बेतहाशा टैक्स थोपे जा रहे हैं। कुल 123 वीआईपी के यहां पहुंचने वाले तमाम सारे अखबारों का पेमेंट ग्वालियर नगर निगम की ओर से होता है और यह 10 लाख रुपए सालाना से कम नहीं होता। मुफ्त का अखबार पाने वालों में केंन्द्रीय मंत्री से लेकर पार्षद तक शामिल हैं।
पत्रकार डा. अमरनाथ गोस्वामी की रिपोर्ट के अनुसार नगरनिगम ग्वालियर में यह व्यवस्था कब से लागू हुई, इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं है। माना जा रहा कि निगम यह दरियादिली पिछले 33 सालों से दिखा रहा है। तब से अब तक निगम प्रशासन ने जनहित की तमाम परंपराओं को भले ही भुला दिया हो, लेकिन माननीयों के घर अखबार पहुंचाने की परंपरा में कभी चूक नहीं की। मामले का खुलासा तब हुआ जब माननीयों के घर अखबार पहुंचाने वाले सब एजेंट जगदीश दुबे की मौत और लंबित भुगतान को लेकर पड़ताल की। पता चला कि समय समय पर माननीयों की यह सूची लंबी होती चली गई।
पता घर का, नाम कार्यालय का
सूची में शामिल सांसद, विधायक, पार्षद, नगर निगम अधिकारियों के आवास पर अखबारों के सेट पहुंचाए जाते हैं। बचाव के लिए पते के रूप में 'निवास कार्यालय शब्द जोड़ दिया गया है। निगम से जुड़े जानकारों ने बताया कि पहले ये अखबार सीधे-सीधे घर के नाम से ही जारी होते थे। कुछ वर्षों पूर्व ऑडिट आपत्तियों से बचने के लिए निगम अधिकारियों ने सीधे नाम के स्थान पर 'निवास कार्यालय' शब्द जुड़वा दिया है।
इन माननीयों के घर जाते हैं मु्फ्त के अखबार
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (मुरार व 29 नंबर बंगला रेसकोर्स रोड दोनों स्थानों पर),
हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी,
खेल मंत्री यशोधरा राजे,
उच्चशिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया,
मुरैना सांसद अनूप मिश्रा,
राज्यसभा सांसद प्रभात झा,
मंत्री लाल सिंह आर्य,
विधायक भारत सिंह कुशवाह,
विधायक लाखन सिंह,
विधायक नारायण सिंह कुशवाह,
मप्र सफाई आयोग सदस्य अशोक बाल्मीक,
महापौर विवेक नारायण शेजवलकर के नईसड़क स्थित आवास,
पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता,
पूर्व विधायक मदन कुशवाह,
पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर,
मुखर्जी भवन भाजपा कार्यालय।
यहां भी जाते हैं अखबार
सभी पार्षदों के घर अखबार उनके आवास कार्यालय के नाम से भेजे जाते हैं। इसके अलावा ऐसे तमाम वाचनालयों के नाम से अखबार भेजे जाते हैं, जिनका संचालन विभिन्न् सामाजिक संगठनों द्वारा किया जाता है। इसके अलावा नगर निगम के लिए मनोनीत विधायक व सांसद प्रतिनिधि, निगम के सभी अधिकारियों के आवास, कुछ अधिकारियों के आवास व कार्यालय दोनों पतों पर अखबार जाते हैं।
वाचनालय के लिए खरीदने का है प्रावधान
एक एमआईसी सदस्य के अनुसार यह व्यवस्था मूल रूप से इस आशय के साथ शुरू की गई थी कि सभी वार्डों में एक-एक वाचनालय खोला जाए। निगम प्रशासन इन वाचनालयों में समाचार पत्र व पत्रिकाएं भिजवाए ,जिन्हें लोग पढ़ सकें। चूकि वाचनालय बने नहीं, इसलिए यह मानते हुए कि वार्ड पार्षद के घर पर ही तमाम लोग आते हैं, इसलिए उनके आवास कार्यालय को ही वाचनालय मानते हुए समाचार पत्र भिजवाना शुरू कर दिए गए। धीरे धीरे नाम जुड़ते गए और बिल बढ़ता गया।