वाणिज्यिक गोपनीयता के नाम पर जानकारी नहीं छुपा सकते विभाग

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन और स्मार्ट चिप कंपनी के बीच लोक सेवाओं को लेकर हुए करार के तहत होने वाले काम लोक क्रियाकलाप की श्रेणी में आते हैं। इसलिए इनसे संबंधित जानकारी छुपाने का कोई औचित्य नहीं है। यह फैसला सुनाते हुए मप्र राज्य सूचना आयोग ने जानकारी न देने का अपीलीय अधिकारी का आदेश खारिज करते हुए परिवहन विभाग को आदेशित किया है कि अपीलार्थी को 15 दिन में स्मार्ट चिप प्रा.लि. से संबंधित अभिलेख का अवलोकन करा कर चाही गई जानकारी निःशुल्क प्रदाय करें तथा यथाशीघ्र आयोग के समक्ष सप्रमाण पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करेें। 

राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने द्वितीय अपील की सुनवाई के बाद पारित आदेश्ज्ञ में स्पष्ट किया है कि मप्र शासन द्वारा परिवहन विभाग के माध्यम से स्मार्ट चिप कंपनी से किया गया करार सूचना प्रोद्यौगिकी के जरिए लोक सुविधाओं में वृद्धि करने व पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किया गया है। यह करार लोक क्रियाकलाप से संबंधित होने के कारण सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (घ) की परिधि में आता है। कंपनी को जनता से वसूली गई राशि से भुगतान किया जाता है, इसलिए जनता को इस बारे में जानने का अधिकार है। अपीलार्थी द्वारा चाही गई सूचना के प्रकटन से वाणिज्यिक गोपनीयता या व्यावसायिक रहस्य उजागर होने अथवा स्मार्ट चिप कंपनी की प्रतियोगी स्थिति को क्षति पहुंचने की कोई संभावना दृष्टिगोचर नहीं होती है। अतः चाही गई सूचना लोक हित में प्रकटन किए जाने योग्य है। इस संबंध में अपीलार्थी के तर्क स्वीकार्य हैं जबकि अपीलीय अधिकारी की दलील स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
अपीलीय अधिकारी का फैसला रद्द
आयुक्त ने प्रथम अपीलीय अधिकारी/परिवहन आयुक्त का निर्णय इस आधार पर निरस्त कर दिया कि धारा 19 के प्रावधानानुसार प्रथम अपील का निर्दिष्ट अवधि में विधिसंगत ढंग से निराकरण नहीं किया गया। अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया तथा विधिवत आदेश पारित नहीं किया गया। अपीलार्थी को मात्र पत्र लिख कर सूचना देने से इंकार कर दिया गया। अपीलीय अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को प्रेषित पत्र एवं आयोग को प्रेषित अपील उत्तर में जानकारी प्रदाय न करने के भिन्न-भिन्न कारण बताए गए और जानकारी न देने का आधार सूचना का अधिकार अधिनियम के संबंधित प्रावधान सहित स्पष्ट नहीं किया गया।

यह था मामला
शिवपुरी के अपीलार्थी विजय शर्मा ने आवेदन दि. 08/07/15 द्वारा लोक सूचना अधिकारी/कार्यालय परिवहन विभाग, ग्वालियर से 01/04/14 से 31/03/15 तक स्मार्ट चिप कंपनी को किए गए भुगतान तथा इस कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों की जानकारी चाही थी किन्तु लोक सूचना अधिकारी द्वारा अपीलार्थी को कोई इत्तला नहीं दी गई। अपीलार्थी के प्रथम अपील प्रस्तुत करने पर अपीलीय अधिकारी ने अपीलार्थी को सूचित किया कि स्मार्ट चिप कंपनी को अनुबंध के तहत भुगतान किया जाता है। इसके बिल वाणिज्यिक अनुबंध के क्रियान्वयन का भाग हैं। आवेदन में किसी प्रकार से स्पष्ट नहीं किया गया है कि आवेदित सूचना से कौन सा लोक हित पूर्ण होगा। अतः वांछित सूचना देना लोक हित में प्रतीत नहीं होता है। इस कारण चाहे गए अभिलेख नहीं दिए जा सकते हैं। 

चेतावनी
तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी द्वारा न आवेदन का निराकरण नियत अवधि में किया गया और न ही अपील उत्तर प्रस्तुत किया गया। लोक सूचना अधिकारी या उनके प्रतिनिधि सुनवाई में भी उपस्थित नहीं हुए। इस पर नाराजगी जताते हुए सूचना आयुक्त आत्मदीप ने लोक सूचना अधिकारी को चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी वैधानिक त्रुटि न करते हुए धारा 7 के प्रावधानानुसार निर्दिष्ट अवधि में आवेदन का निराकरण करना सुनिष्चित करें। आयोग ने अपीलीय अधिकारी को भी सचेत किया है कि उभय पक्षों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के बाद नियत समय सीमा में विधिवत आदेश पारित कर प्रथम अपील का निराकरण करना सुनिष्चित करें। 

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