नीमच/मध्यप्रदेश। यहां एक हट्टा कट्टा भरपूर नौजवान एक युवा अपनी पत्नी के शव को 4 घंटे तक शमशान में ही रखे रहा। दाह संस्कार नहीं किया, क्योंकि उसे मुफ्त में लड़कियां नहीं मिल रहीं थीं। वो शासन ने दाह संस्कार के लिए मुफ्त लकड़ियों की मांग कर रहा था। 4 घंटे बाद जब उसे फ्री में लकड़ियां दीं गईं, तब कहीं जाकर उसने अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार किया।
जिले के रतनगढ़ क्षेत्र में महिला नोजी बाई भील की मौत हो गई थी। अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए जब उसका पति और अन्य परिजन श्मशानघाट पहुंचे। नगर परिषद के कर्मचारी से उन्होंने लकड़ियों की मांग की तो कर्मचारी ने बताया कि इसके लिए 2500 की रसीद बनेगी, लेकिन परिजन पैसे देने को तैयार नहीं हुए। मौजदू परिजनों में से कोई भी दीनहीन स्थिति में दिखाई नहीं दे रहा था परंतु उनका कहना था कि उनके पास पैसे ही नहीं है।
नियम निर्देशों से बंधा कर्मचारी भी कुछ नहीं कर पाया। वो अपने स्तर पर उनकी मांग पूरी नहीं कर सकता था। परिजन 4 घंटे तक शव को रखकर फ्री में लकड़ियों की मांग दोहराते रहे। अंतत: कर्मचारी का ही दिल पसीजा और उसने मुफ्त में लकड़ियां उपलब्ध कराईं। तब कहीं जाकर उसने अपनी पत्नी का दाह संस्कार किया।