अनूपपुर। डिप्टी कमिश्नर आदिवासी विकास पीएन चतुर्वेदी को कमिश्नर शहडोल संभाग डीपी अहिरवार ने नोटिस जारी किया है। श्री चतुर्वेदी को 2 साल पहले एक विभागीय जांच सौंपी गई थी। उन्हें 1 माह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी परंतु उन्होंने 2 साल तक जांच पूरी नहीं की। इतना ही नहीं वल्लभ भवन मुख्यालय की ओर से आए रिमांडर पर भी ध्यान नहीं दिया।
कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया हैं कमिश्नर द्वारा जारी कारण बताओ सूचना पत्र में कहा गया है कि आपको श्री सीएम सिंह व्याख्याता एवं तत्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी अनूपपुर जिला-अनूपपुर के विरू़द्ध विभागीय जांच संस्थित करते हुये जांच अधिकारी नियुक्त किया गया तथा जांच कार्यवाही एक माह की अवधि में पूर्ण करते हुये प्रतिवेदन चाहा गया था, जो लगभग 2 वर्ष से अधिक की अवधि व्यवतीत होने के उपरांत भी जांच प्रतिवेदन कमिश्नर कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया गया।
उक्त संबंध में कई बार स्मरण कराते हुये मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन के पत्र दिनांक 22 अक्टूबर 2009 में विभागीय जांच प्रकरणों का निपटारा एक वर्ष की निर्धारित समयावधि में किये जाने के तारतम्य में प्रकरण का निराकरण समयावधि में नहीं किये जाने के कारण कार्यालयीन पत्र क्रमांक 10 मई 2016 के द्वारा आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का लेख किया जाकर वांछित प्रतिवेदन 15 दिवसों की समयावधि में चाहा गया था। किंतु शासन एंव इस कार्यालय द्वारा दिये गये निर्देश के बावजूद भी वांछित जांच प्रतिवेदन अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है।
स्पष्ट है कि आपके द्वारा पदीय दायित्वों के निर्वहन में उदासीनता एवं स्वेच्छाचारिता बरतते हुये वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों की अवहेलना की गई है। आपका उक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन है। अतः आपकी सूचना पत्र की प्राप्ति से 7 दिवस के अंदर अपना उत्तर प्रस्तुत करें कि आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ करते हुये मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 10 के अंतर्गत कार्यवाही क्यों न की जावें। नियम समयावधि में उत्तर प्रस्तुत न करने की दशा में यह अनुमान किया जाकर कि आपको इस सूचना पत्र के संबंध में कुछ भी नहीं कहता है। प्रकरण में एक पक्षीय निर्णय लिया जावेगा।