
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब हाल में ही एक कैदी जेल से छूटकर आया। उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब हत्या के आरोपी राघवेन्द्र सिंह उर्फ मंगू राजावत और उनके भाई कल्लू जेल में आए तो उन्होंने जेल का खाना खाने से इनकार करते हुए बाहर से खाना मंगाए जाने के लिए जेलर पर दबाब बनाया।
जेलर संतोष उपाध्याय ने जेल मेन्यू के अनुसार ही अन्य कैदियों के साथ खाना खाने की बात कही। इसके बाद दो दिन तक इन बंदियों ने खाना ही नहीं खाया और भूख हड़ताल पर बैठ गए।
मामले की जानकारी भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष को लग गई और जेलर व नेताजी के बीच जमकर बहस हुई, जिसके बाद बंदियों को सरसों के तेल की जगह देशी घी के तड़के की दाल परोसी जाने लगी।
इस बारे में जब जेलर संतोष उपाध्याय से चर्चा की गई तो वे इस बात को झुठलाते हुए बोले कि, कैदियों की मांग पर मौसमी सब्जियों में परिवर्तन किया गया है और रही बात कैदियों के खाना न खाने की, तो ऐसा कभी नहीं हुआ है। उन्होंने तेल की जगह घी का उपयोग करने की बात को बिल्कुल गलत बताया है।