
प्रदेश के ब्लड बैंकों में खून के कम्पोनेंट के रेट मनमाने तरीके से लिए जा रहे हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए एक नीति बनाई गई है जिसमें सरकारी और प्राइवेट बैंकों से मिलने वाले ब्लड और उसके कंपोनेंट के रेट तय कर दिए गए हैं। कौंसिल की डायरेक्टर सुनीता त्रिपाठी के नए आदेश में थैलेसीमिया, सिकल सेल, हीमोफीलिया और अन्य गंभीर बीमारियों के लिए मुफ्त खून देना भी शामिल है।
सरकारी अस्पतालों में रोकस, प्राइवेट में मांग के अनुसार
सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति के जरिए इसके रेट तय किए जाते हैं। इसके आधार पर ही मरीजों से फीस ली जा रही थी। दूसरी तरफ, प्राइवेट ब्लड बैंकों में मांग के अनुसार रेट तय कर दिए जाते हैं। सामान्य ब्लड ग्रुप जैसे बी पाजीटिव, ओ पाजीटिव आसानी से उपलब्ध है तो उसके रेट अलग होते हैं वहीं एबी पाजीटिव और नेगिटिव ब्लड ग्रुप के रेट अन्य की तुलना में दोगुना महंगे तक होते हैं।