कर्मचारियों को मालूम होना चाहिए पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट क्या है

नमस्कार दोस्तों, जानकारी ना होने की बजह से हम काफी बार शोषण का शिकार हो जाते है जिस फील्ड में जिस सस्थान में हम काम कर रहे है उसके बारे में हमें पता होना जरुरी है। आपने बहुत सी कम्पनियों में देखा होगा कोई तो अपने कर्मचारियों को केवल 6 महीनों में ही बोनस देती है तो कई कंपनिया 1 साल में। इसलिए हर कर्मचारी के लिए जानना जरुरी है पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट क्या है ? इस पोस्ट में हम आपको बतायेगे की कर्मचारी को कितने दिनों में कितना और कब और कितना बोनस मिलता है। अगर हमें सैलरी में बढ़ा पैसा न मिले तो हमें क्या करना चाहिए, एक साल में हमारी सैलरी में कम से कम कितनी बढ़ेगी होगी, सैलरी बढवाने के लिए हम क्या करे इस तरह के सभी सवालों के जबाब आपको इस पोस्ट में मिल जायेगे।

पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट क्या है ?
पेमेंट ऑफ़ बोनस का मतलब होता है कर्मचारियों को तनख्वाह में मिलने वाली बढ़ोतरी या अतरिक्त लाभ। पेमेंट ऑफ़ बोनस आम तौर पर किसी संस्था और कम्पनी में काम  करने वाले कर्मचारी को उसकी योग्यता, संस्था में हुई उन्नति व संस्था की कायदे कानून को देख कर दिया जाता है। भारत में किसी भी कंपनी और संस्था के लिए ये जरुरी है की वो सालाना अपने कर्मचारीयो के तनख्वाह में जहा तक संभव हो सकते बढ़ोतरी करे।

इसके लिए वो सभी तरह के कुशल व अकुशल कर्मचारी योग्य है जो हर महीन 10 हजार रूपये सैलरी लेता हो। बोनस प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को एक साल में कम से कम 30 दिन काम करना जरुरी होता है।

जो कर्मचारी कम्पनी में 15 वर्ष से कम काम कर रहा हो उसका कम से कम बोनस 60 रूपये प्रतिमाह और जिसे काम करते हुए 15 वर्ष से अधिक हो गये हो उसको कम से कम 100 रूपये प्रतिमाह साल में एक बार बोनस मिलता है। कर्मचारी की योग्यता और कुशलता को देख कर उसका बोनस 20 प्रतिशत तक भी बढाया जा सकता है।

अगर किसी महिला ने मातृत्व अवकाश लिया हो , किसी ने संस्था की मंजूरी से छुट्टी ली हो या फिर किसी अन्य एक्सीडेंट व बीमारी की बजह से संस्था द्वारा उसे छुटी प्रदान की गयी को तो भी वो इस बोनस का हक़दार होता है।

किन कर्मचारियों को नही मिलेगा पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट का लाभ ?
इसके लिए सबसे पहली कंडीशन तो ये है की कर्मचारी को साल में कम से कम 30 दिन काम  करना जरुरी है। अगर कोई कर्मचारी संस्था के कायदे कानून के अनुसार काम न करता हो, कम्पनी में किसी भी तरह की धोखाधड़ी, जालसाजी या फिर कोई हिंसक व्यवहार करता ही उसको इस बोनस का लाभ नही मिलेगा। हालांकि इस अधिनियम के तहत एलआईसी, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों, वाणिज्य, RBI, आईएफसीआई, UTI, आईडीबीआई, नाबार्ड, सिडबी, समाज कल्याण संस्थाओं के कर्मचारियों को बोनस का लाभ नही मिल पाता।

कर्मचारी को पूरा अधिकार है की वो 1 साल के बाद तय सीमा के अन्दर बोनस के लिए अप्लाई कर सकता है और अगर उसे बोनस का लाभ नही मिलता है तो वह THE PAYMENT OF BONUS ACT, 1965 के तहत लेबर कोर्ट में जा सकता है।

अगर कोई कंपनी कर्मचारी को बोनस देने में आना कानी करती हो तो कम्पनी के दोषी पाए जाने पर 1000 रूपये जुर्माना या 1 साल का कारवास या फिर ये दोनों हो सकते है।

दोस्तों आपको हमारी ये पोस्ट हर कर्मचारी के लिए जानना जरुरी है पेमेंट ऑफ़ बोनस एक्ट क्या है ?  कैसी लगी हमें जरुर बताये व ज्यादा से ज्यादा लोगो की सहायता करने के लिए इस आर्टिकल को फेसबुक पर शेयर करे।

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