
भारत अब कूटनीतिक चैनल से इसकी शिकायत कर सकता है। इसलिए उन्होंने अपनी नाराजगी जताने के लिए पाकिस्तान छोड़ना ही उचित समझा और यह बिल्कुल सही कदम है। हालांकि जो सूचना है, गृहमंत्रियों के सम्मेलन में राजनाथ ने पाकिस्तान की भूमि पर ही उसे आईना दिखाया। मसलन, उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को पनाह दे रहे हैं, आतंकवाद अच्छा या बुरा नहीं होता। आतंकी को शहीद का दर्जा न दिया जाए। जरूरी था दरअसल, मेजबान देश होने के कारण सार्क सम्मेलन की शुरु आत करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंकवाद पर लंबा भाषण दिया था।
एक ओर उनका भाषण था और दूसरी ओर इस्लामाबाद में आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन जैसे संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित आतंकवादी को राजनाथ एवं भारत के खिलाफ प्रदर्शन करने की छूट भी दी हुई थी। इसमें राजनाथ के लिए जवाब देना आवश्यक था और कहा जा सकता है कि उन्होंने बिल्कुल सही जवाब दिया। पाकिस्तान के लिए यह शर्म का विषय होना चाहिए कि उसने एक मेजबान देश की भूमिका भी ठीक से अदा नहीं की। राजनाथ सिंह जो भी बोले उसको उसी तरह मीडिया को रिकॉर्ड या प्रसारण करने देना चाहिए था जैसे दूसरे नेताओं का हुआ। कम से कम भारत में या किसी सभ्य देश में हम पाकिस्तान जैसे व्यवहार की उम्मीद नहीं कर सकते।
भारत को अब पाकिस्तान से अपने सामान्य शिष्टाचार की सीमा भी तय करना चाहिए। पकिस्तानी मंत्रियों और हुक्मरानों की यात्रा के समय जैसे को तैसा नीति का पालन अब जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी को भी अपनी अगली पाकिस्तान यात्रा के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए