दमोह में स्कूल जाने के लिए मौत का पुल पार करते हैं बच्चे

रमज़ान खान/दमोह। जीवन में रिस्क लेना अच्छी बात है लेकिन जहां हर पल मौत का खतरा हो तो शायद इसे रिस्क न कहकर आत्म हत्या ही कहा जा सकता है। ऐसे ही खतरनाक रिस्क लेने को मजबूर एक दो नहीं बल्कि दस गांवो के छात्र और ग्रामीण। नदी पर बने ब्रिज की अप्रोच पानी में बहने के बाद सीढ़ी का ब्रिज बनाकर नदी पार करते है ग्रामीण, जहां हर कदम जीवन और मौत से आँख मिचोली खेली जाती है। क्या है ये मौत का खेल, देखिये इस खास रिपोर्ट में। 

दमोह जिला मुख्यालय से महज बीस किलोमीटर दूर सीता नगर और हटा को जोड़ने वाली सड़क पर कोपरा नदी पर हाल ही में एक ब्रिज का निर्माण कार्य किया गया था । पहली ही बारिश में इस ब्रिज को जोड़ने वाली सड़क की मिटटी बह गई और सड़क और ब्रीज के बीच काफी लम्बी खाई बन गई ! अब स्थानीय ग्रामीण इस खाई पर लकड़ी की सीडी लगाकर और रस्सी बाद कर सड़क से ब्रिज तक का रिस्क भरा सफर तय करते है।

दरअसल इस ब्रिज के जरिये एक दो नहीं बल्कि दस गांवो  के हजारो लोगो का आना जाना होता है ! सबसे बड़ी बात ये है यहाँ पढ़ने वाले नन्हे मुन्हे छात्रों को रोज अपनी जिंदगी का जोखिम उठा कर इस ब्रिज को पार करना पड़ता है।

इस खतरनाक खेल के सम्बन्ध में जब हमने दमोह जिलाधीश डॉ श्रीनिवास शर्मा से बात की तो उन्होंने इस खाई की बजह तेज बारिश बताई और तुरंत ही विभाग से यहाँ सुधार कार्य कराने की बात कही लेकिन ग्रामीणों द्वारा खेले जा रहे इस खतरनाक खेल पर सुरक्षा व्यवस्था कायम करने में कुछ अक्षमता ज़ाहिर की।

कोपरा नदी का तेज़ बहाव लकड़ी की सीढ़ी से बीस फिट से अधिक लंबी खाई को पार करना ! जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक कदम का फासला कहा जा सकता है ! एक कदम फिसला और मौत से सामना ! हद तो तब हो जाती है जब मासूम बच्चो को भी मौत के मुंह में डाल दिया जाता है ! ऐसे में देखने लायक बात ये होगी की प्रशासन कब तक इस खतरनाक खेल को बंद करा पाती है।

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