बालाघाट। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा 30 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश लोक सेवा ;पदोन्नति नियम 2002 को अवैध घोषित किया गया है और 2002 के बाद से जो अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारी और अधिकारी को पदोन्नत किया गया है उन सभी अधिकारी कर्मचारियों को रिवर्ट करने के लिये कहा गया है लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा इस आदेश के विरूद्ध अपील उच्चतम न्यायालय में कर दी गई जिस से सामान्य और पिछडा, अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों को दुख और अपमानित होना पडा सरकार एक वर्ग विषेष के प्रति संवदेनशील है लेकिन सामान्य और पिछडा वर्ग के प्रति अन्याय और शोषण कर रही है।
आदरणीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा 12 जून को अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग कमचारी मोर्चा ;अजाक्स सम्मेलन भोपाल में पदोन्नति में आरक्षण की घोषणा करना और मध्यप्रदेश लोक सेवा ;पदोन्नति नियम 2016 बनाने की घोषणा करना माननीय उच्चतम न्यायालय की अवमानना होकर सामान्य और पिछडा अल्पसंख्यक वर्ग के साथ अन्याय और शोषण है।
अतः आप से निवेदन है कि आप अपनी अपील माननीय उच्चतम न्यायालय से वापिस लेकर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा 30 अप्रैल 2016 को पारित निर्णय का पालन अक्षरषः करें। जिससे की सामान्य और पिछडा अल्पसंख्यक वर्गो के कर्मचारियों के साथ पदोन्नति में भेदभाव खत्म हो सकें।