
मोदी के कड़े शब्द
प्रचार पाने की लालसा से कभी भी देश का भला नहीं होगा। लोगों को बहुत जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना चाहिए। अगर कोई खुद को व्यवस्था से उपर समझता है तो ये गलत है।...ये शब्द थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के। इस बयान के साथ ही पीएम पार्टी के उन 'बयानवीरों' को कड़ा संदेश दिया है जो हाल में पार्टी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते नहीं थक रहे हैं। यह माना जा रहा है कि पीएम का यह बयान सुब्रह्मण्यम स्वामी के लिये ही था।
'बेलगाम' जुबान से करा दी किरकिरी
सुब्रमण्यन स्वामी की 'बेलगाम' जुबान से हाल ही के दिनों में बीजेपी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है। वे लगातार पार्टी लाइन से बाहर जाकर ट्विटर व अन्य मौकों पर ऐसी बातें लिख रहे हैं, जो भाजपा पर भारी पड़ रहा था। सरकार भी सांसत में थी। सबसे पहले आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन, फिर मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, उसके बाद सचिव शक्तिकांत दास और इस ट्वीट सीरीज से आखिर में वित्त मंत्री अरुण जेटली को पहनावे की 'अक्ल' देकर निशाना साधने वाले स्वामी पार्टी पर ही भारी पड़ते जा रहे थे।
पार्टी आलाकमान ने अपने सभी प्रवक्ताओं को स्वामी पर कोई भी बयान देने तक से मना कर दिया था। ऐसे में प्रवक्ताओं ने स्वामी के हमले के पहले ही दिन सिर्फ इतना कहा था कि यह 'उनके व्यक्तिगत' विचार हैं। इससे इतर प्रवक्ताओं के पास कुछ भी बोलने को नहीं रह गया था।
बीजेपी हाईकमान ने संभाली कमान
स्वामी को पार्टी पर हावी होता देख अब बीजेपी हाईकमान ने कमान संभाल ली है और स्वामी का मुंह कैसे बंद किया जाये, इसकी रणनीति भी तैयार कर ली है। इसके लिए बीजेपी की तिकड़ी एक हो गये हैं। मोदी-शाह-संघ की तिकड़ी ने अब स्वामी के लिए 'सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे' सरीखा एक प्लॉन तैयार किया है। एक ओर से पीएम मोदी ने सार्वजनिक बयान देकर स्वामी को अपने इरादे साफ कर दिये हैं, तो वहीं पार्टी की ओर से उन दो कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है, जिसमें उन्हें बतौर मुख्य वक्त बोलना था।
सीधी कार्रवाई से बच रही पार्टी
दरअसल, पार्टी स्वामी पर सीधी कार्रवाई करने से बच रही है। ऐसे में बीजेपी ने स्वामी तक संदेश पहुंचाने के लिए ये रास्ता अपनाया गया है। दो वैसे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए, जहां स्वामी को बोलना था। इनमें एक रविवार को मुंबई में होना था। दूसरा इसी हफ्ते चेन्नई में आरएसएस की ओर से आयोजित होने वाला था।
एक्शन लेना हुआ ज़रूरी
हालिया विवादों के बाद स्वामी ने दावा किया था कि उनका पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री से सीधा संपर्क है। इससे यह संदेश जा रहा था कि स्वामी के इन विवादित बयानों से पार्टी नेता भी इत्तेफाक रखते हैं। ऐसे में ये ज़रूरी हो गया था कि स्वामी पर एक्शन लिया जाए।बता दें कि, पहले भी स्वामी के निशाने पर भाजपा रही है, जब वह भाजपा के साथ नहीं थे तो उन्होंने कूटनीति व राजनीति से अटल सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थीं।