
सलमान खान इस तरह के विवादों में फंसते रहे हैं और कई बार अभद्र या आक्रामक अभिव्यक्ति की वजह से उनके झगड़े भी होते रहे हैं।उनका यह बचाव बचकाना है की उनका भाषा ज्ञान बहुत सीमित है और वह कामचलाऊ हिंदी और अंग्रेजी भर जानते हैं। समस्या तब होती है, जब वह अपने सीमित भाषा ज्ञान का इस्तेमाल बिना सोचे-समझे करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी संदर्भ में बिना सोचे-समझे बोलता है, तो इसका अर्थ यह है कि वह उस विषय को बहुत महत्वपूर्ण या संवेदनशील नहीं मानता। अगर सलमान बलात्कार शब्द का इस तरह से हल्के-फुल्के ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि बलात्कार पीडि़त महिलाओं की पीड़ा और अपमान उनके लिए बहुत गंभीर मामला नहीं है।
कुछ फिल्मी सितारों के साथ समस्या यह होती है कि वे कितने ही बडे़ हो जाएं, मानसिकता के स्तर पर वे बिगड़ैल किशोरों के स्तर से ऊपर नहीं उठ पाते। खास तौर पर यह समस्या फिल्मी दुनिया के माहौल में पली-बढ़ी संतानों के बारे में ज्यादा होती है, क्योंकि वे मुंबई के एक खास माहौल में पलते-बढ़ते हैं, जिसमें पैसा और ग्लैमर तो होता है, लेकिन वास्तविक जिंदगी से उनका कोई साबका नहीं पड़ता। फिल्मी दुनिया में पढ़ाई-लिखाई का भी कोई माहौल नहीं है और मुश्किल से स्कूली पढ़ाई करके सलमान खान जैसे नौजवान बड़े सितारे बन जाते हैं, जहां जिंदगी की वास्तविकता से रूबरू होने की संभावना और भी खत्म हो जाती है।फ़िल्मी हलकों में अब भी महिलाओं को यौन आकर्षण और ग्लैमर का पर्याय माना जाता है, इसलिए भी फिल्मी नौजवानों का उन महिलाओं से परिचय नहीं होता, जो पढ़ती हैं, पढ़ाती हैं, दुनिया के तमाम क्षेत्रों में संघर्ष करती हैं, परिवार चलाती हैं, असुरक्षा और अपमान झेलती हैं, फिर भी बहादुरी से अपनी जगह बनाती हैं।
आज भी ज्यादातर फिल्में नायक को केंद्र में रखकर बनती हैं, नायिका उसमें इतनी गौण होती है कि एक की जगह दूसरी अभिनेत्री को रख देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। सिनेमा में नायक और नायिका को मिलने वाले पारिश्रमिक में भी कई गुना का फर्क होता है। कुछ लोग इस सब के बावजूद परिपक्व व समझदार बन जाते हैं, लेकिन सलमान खान जैसे कुछ लोग वहीं के वहीं रहते हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए