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मात्र 300 रुपए प्रतिमाह पेंशन में गुजर करता है यह परिवार |
दतिया। यूं तो भाजपा हिंदुओं की रक्षक पार्टी मानी जाती है परंतु मप्र में हालात यह हैं कि भाजपा के दिग्गज मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दतिया निवासी निर्धन युवक की मौत के बाद उसे दफनाया गया, क्योंकि उसके परिवार के पास उसके अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे। मदद के नाम पर ना तो सरकार सामने आई और ना ही कोई पड़ौसी।
दतिया निवासी 78 साल के दादा राम गोपाल ने बताया कि बहू, पोती और उसकी तीन बेटियों का भरण-पोषण करने वाले इकलौते पोते नरेन्द्र (25) ने फेफड़े खराब हो गए थे। झांसी मेडिकल में इलाज के दौरान 19 जून को उसकी मौत हो गई। घर में इतने भी पैसे नहीं थे कि पोते का अंतिम संस्कार कर पाएं। झांसी मेडिकल कॉलेज की एंबुलेंस से वे पोते का शव दतिया लेकर आए तो पड़ोसियों ने मदद करने की बजाय गेट बंद कर लिए। इससे दुखी होकर वे शव को बेतवा नदी में विसर्जन के लिए ले गए। लेकिन पुलिस वालों ने भगा दिया। अंत में झांसी के नगरा मुक्तिधाम पर खुद रामगोपाल ने एंबुलेंस ड्राइवर की मदद से गड्ढा खोदा। जहां हिंदू होने के बाद भी उन्हें पोते के शव को सुपुर्द-ए-खाक करना पड़ा।
रामगोपाल के बड़े बेटे मनोज और छोटे बेटे की पहले ही मौत हो चुकी है। पोते नरेन्द्र की कमाई से ही गृहस्थी चलती थी। सरकार निराश्रित बुजुर्ग के नाते रामगोपाल और उसकी विधवा बहू अनीता को सिर्फ 150-150 रुपए महीने पेंशन देती है लेकिन इतने रुपए से घर का खर्च नहीं पूरा हो पाता है। अब चिंता इस बात की है कि घर का चूल्हा कैसे जलेगा।