
कवि समाज का दर्पण होता है, कवि घटनाओं को इतिहास बनाता है, कवि विचारों का श्रजन ही नहीं उन्हें समाज में प्रवाहित करता है ।कवि समाज में इतिहास का गर्व भी अनुभूत कराता है और भविष्य के प्रति सचेत भी करता है । इसलिए पूर्व काल से ही राजा महाराजाओं के दरबार में कवियों का विशेष स्थान रहा है।
कवि युद्ध काल में राजा का हौसला भी बढ़ाते थे और राजा की गलतियों पर उसे कविता के माध्यम से फटकार और उसका मार्गदर्शन करते थे। वर्तमान समय में भी कवि समाज में महत्वपूर्ण भूमिका को अदा कर रहे है ऐसी अनेक घटनाएं जिनको संचार के अन्य माध्यमों पर प्रदर्शित नहीं किया जाता उनको कवि सम्मेलन के माध्यम से कवि समाज तक पहुंचाते हैं। देश में 2 वर्ष पूर्व हुए व्यापक राजनैतिक परिवर्तन में कवियों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
कोई भी आंदोलन बिना कवियों के परवान नहीं चढ़ता चाहे अन्ना हज़ारे का जनलोकपाल का आंदोलन में डॉ कुमार विश्वास और अन्य कवियों का योगदान हो अथवा स्वामी बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान आंदोलन में डॉ हरिओम पवार के नेतृत्व में कवियों की हुंकार ने देश को जगाने का काम किया है लेकिन कवि स्वाभिमानी होता है किसी दरबार में अपनी मांग लेकर जाना उसके लिए असहज होता है। इसी कारण से आज तक कवियों को लगभग नगण्य सुविधाएँ प्राप्त हैं । इसलिए " राष्ट्रीय कवि संगम " कवियों की कुछ मूलभूत मांगों को लेकर देश और प्रदेश की सरकार को अवगत कराने सामूहिक पत्र सत्याग्रह चलाएगी।
1. शासन में कवियों को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए , संस्कृति विभाग में रिक्त सलाहकार जैसे पदों पर कवियों की नियुक्ति होनी चाहिए ।
2. कवियों को देश भर में अत्यधिक यात्रा करनी होती है और उन्हें मिलने बाली मानदेय का अधिकांश हिस्सा यात्रा में ही व्यय हो जाता है ऐसे में कवियों को रेल यात्रा में 50 प्रतिशत छूट मिलनी चाहिए ।
3. बहुत श्रेष्ठ कवि अपनी उम्र के अंतिम समय दाने -दाने को मोहताज हो जाते हैं ऐसे में कवियों के लिए सम्मानजनक पेंशन की सुविधा प्रारम्भ होना चाहिए ।
4 . कवियों को पुस्तक प्रकाशन हेतु उचित अनुदान मिलना चाहिए ।
5 . शासन की विभिन्न सलाहकार समितियों में कवियों को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए ।
6 . कवियों की अधिमान्यता के उचित नियम बनाकर उनका पंजीयन होना चाहिए एवं शासन की अन्य सुविधाओं में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए ।
7. कवि गण दिन रात पूरे देश में जोखिम भरी यात्रायें करते हैं ऐसे में परिवार की सुरक्षा के लिए अप्रिय स्थिति में परिवार को आर्थिक मदद का प्रावधान होना चाहिए ।
उपरोक्त मांगों को लेकर प्रदेश भर के कवि एवं साहित्यकार माननीय प्रधानमंत्री, मा रेल मंत्री एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को तब तक प्रत्येक माह सामूहिक पत्र भेजेंगे जब तक की सरकार उपरोक्त मांगे स्वीकार नहीं करेगी। राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश अध्यक्ष सुमित ओरछा ने कहा की हमें विश्वास है की वर्तमान नेतृत्व बहुत संवेदनशील है वो कवियों की भावनाओ का अवश्य मान रखेंगा।