कानपुर। यहां गंगा के ड्योढ़ी घाट पर एक 15 किलो वजन का पत्थर तैर रहा है। दूसरी चौंकाने वाली खबर यह है कि यह पत्थर घाट स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के आसपास ही तैर रहा है। इसे वहां से दूर ले जाने की कोशिश की गई लेकिन वह धारा के विरुद्ध तैरता हुआ वापस मंदिर के समीप आ गया। इस चमत्कारी पत्थर को रामायण काल में बने सेतु समुद्रम का पत्थर बताया जा रहा है परंतु इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि पत्थर मंदिर के आसपास ही क्यों बना हुआ है, गंगा के प्रवाह के साथ बह क्यों नहीं रहा।
महाराजपुर के ड्योढ़ी घाट स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के पास से निकली गंगा नदी में मंगलवार सुबह एक भारी पत्थर नाविक को तैरता दिखाई दिया। उसने उसे वापस तैरा दिया पर वह पत्थर वापस ड्योढ़ी घाट की तरफ आ गया। नाविक शेरा ने बताया कि उसने दो तीन बार उसे प्रवाहित करने की कोशिश की पर वह वापस मंदिर प्रांगण की ओर आने लगा। उसने यह बात पुजारी प्रदीप मिश्रा को बताई। उन्होंने उसे निकालने को कहा।
तकरीबन 15 किलोग्राम भार के इस पत्थर का तैरना और फिर वापस घाट की तरफ आने की बात आसपास के लोगों को पता चली। इसके बाद वहां आसपास के ग्रामीणों का तांता लगने लगा। इसकी सूचना मंदिर के मंहत चैतन्य प्रकाश ब्रह्मचारी को दी गई। उनके निर्देशानुसार उसे मंदिर प्रांगण में बने भगवान वैद्यनाथ के मंदिर में रखवा दिया गया है।
सालों पहले चोरी हुए थे पत्थर
हनुमान मंदिर से 2007 में ऐसा ही पत्थर चोरी होने की बात कारोबारी विकास मिश्रा ने बताई। उन्होंने बताया कि इन पत्थरों का कुछ पता नहीं चल सका। तब पुजारी राजाराम शुक्ल थे।