
गौरतलब है कि गणपति कंस्ट्रक्शन नाम की एक फर्म की पांच हजार गज जमीन पर अधिकारियों ने सिर्फ एक रुपए में पट्टा जारी कर दिया था। एसीबी ने गलत दस्तावेजों पेश करने और यूडीएच जेडीए के अधिकारियों से मिलीभगत करने के आरोप में प्रोपराइटर शैलेंद्र को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में संधू लंबे समय से फरार चल रहे थे।
अब इस पूरे मामले और संधू की जमानत याचिका पर सुनवाई शुक्रवार की तय की गई है। एसीबी कोर्ट प्रथम में अब संधू के भविष्य पर फैसला होगा. यहीं पर उनकी जमानत याचिक पर सुनवाई होनी है।
उल्लेखनीय है कि इस पूरे प्रकरण में एसीबी की जांच में सामने आया था कि शैलेन्द्र गर्ग ने वर्ष 2009 में गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने के लिए आवेदन किया था। इसमें कंपनी ने बताया था कि सभी भूखंडधारियों ने उनके प्लाट समर्पित कर दिए हैं. उनके लिए फ्लैट बनाए जाने हैं. ऐसे में एकल पट्टा दिया जाए।
जोन उपायुक्त ओंकार सैनी ने जेडीसी की राय लिए बिना ही फाइल को यूडीएच भेज दिया था। यूडीएच के तत्कालीन नगर नियोजक के पास फाइल पहुंची तो उन्होंने विधि परामर्श से राय लिए जाने के बाद ही पट्टा जारी करना उचित माने जाने की टिप्पणी की, लेकिन फाइल जब तत्कालीन उप सचिव निष्काम दिवाकर पास गई तो उन्होंने राय लिए बगैर ही स्वीकृति के लिए फाइल जीएस संधू के पास भेज दी।
इसके बाद संधू ने कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग के नाम से एकल पट्टा जारी करने के आदेश दे दिए थे. एकल पट्टा पर सरकार की रोक थी।