
खींवसर ने साफगोई के साथ शराब को लेकर अपने मन के विचार मीडिया के सामने रखे और शराबबंदी को शराब पीने से रोकने का कारगर हथियार मानने से इनकार कर दिया। एक और शराबबंदी की मांग को लेकर राजस्थान में जगह-जगह पर आंदोलन हो रहे हैं। मांग दिन ब दिन जोर पकड़ती जा रही है और वहीं सत्तासीन लोगों के अलग-अलग विचार भी सामने आ रहे हैं।
बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उद्योग मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने शराबबंदी के मुद्दे पर मन के उद्गार सार्वजनिक किए। खींवसर ने शराब सेवन को फंडामेंटल राइट से जोड़ा और कहा कि शराबबंदी के बाद फिर सिगरेट और नॉनवेज पर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
शराब को लेकर मंत्री खींवसर के बयानों को कांग्रेस ने बेतुके बोल बताते हुए निंदा की। प्रदेश कांग्रेस मानती है कि सरकार में बैठे मंत्री ऐसे बयान देकर प्रदेश में शराब संस्कृति को हतोत्साहित करने के बजाए बढ़ावा दे रहे हैं। दूसरी ओर खींवसर कहते हैं कि मीडिया मेरे कहे शब्दों को तिल का ताड़ बना सकता है लेकिन मैंने वो बात कही है जो तार्किक है। शराब बंदी के बाद जहरीली शराब, अवैध कारोबार और तस्करी को ही बढ़ावा मिलेगा, क्या ये सच नहीं है।
गौरतलब कि शराबबंदी की मांग पर ही राजस्थान में पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने अपनी जान की परवाह नहीं की। शराबबंदी को लेकर यहां मूवमेंट जारी है और छाबड़ा परिवार के सदस्य बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भी समर्थन जुटा कर आए हैं।