
मोदी सरकार ऐसा इसलिए कर रही है, क्योंकि स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोड़ने की स्कीम 'गिव इट अप' को खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद अब केंद्र सरकार कानून के जरिये उच्च आय वालों से सब्सिडी का फ़ायदा छीनने के मूड में है।
अगर भारत पेट्रोलियम अधिकारियों की मानें तो इस नए कानून से करोड़ों लोगों पर असर पड़ सकता है। इससे उच्च आय वर्ग के उपभोक्ताओं की सब्सिडी छिन सकती है। स्कीम के तहत आईटीआर की कॉपी सब्सिडी के लिए अनिवार्य होते ही 10 लाख रुपए से अधिक सालाना आय वाले लोगों से सब्सिडी का फ़ायदा छिन जाएगा।
लेकिन उन उपभोक्ताओं को भी सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पाएगा जो इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरते। भारत में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जो इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरते या फिर वो जानते ही नहीं कि इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव में उपभोक्ता को गैस सब्सिडी लेने के लिए एलपीजी डीलर के पास हर साल आईटीआर की कॉपी जमा करानी होगी। ऐसा इसलिए ताकि उन लोगों को गैस सब्सिडी न दी जाए, जिनकी सालाना आय 10 लाख रुपए से अधिक है।
मोदी सरकार इस नियम को लागू करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 138 में संशोधन कर सकती है। नए नियम से ऑयल मार्केटिंग कंपनियां उपभोक्ता का ब्योरा डायरेक्ट सीबीडीटी से लेंगी। इससे ये आसानी से पता चल जाएगा कि कौन सा ग्राहक किस इनकम स्लैब में है और किससे सब्सिडी वापस ली जा सकती।