दलबदलुओं को गले लगाना मेनन को महंगा पड़ा

भोपाल। संगठन महामंत्री अरविंद मेनन द्वारा कांग्रेस विधायक रहे संजय पाठक एवं नारायण त्रिपाठी को तोड़कर भाजपा में लाने जैसे निर्णय उन पर भारी पड़े। पार्टी के पुराने एवं योग्य लोगों को आगे न बढ़ाने का आरोप भी उन पर रहा। चुनावी जीत के लिए पार्टी की विचारधारा दरकिनार करना भी संघ को रास नहीं आया। राव उदय प्रताप सिंह और डॉ भागीरथ प्रसाद को रातोंरात पार्टी की सदस्यता दिलाना एवं रतलाम-झाबुआ चुनाव के ठीक पहले कांतिलाल भूरिया पर डोरे डालना भी विवादास्पद रहा।

क्या हैं राजनीतिक मायने
यह परिवर्तन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को झटका माना जा रहा है क्योंकि अपने कामकाज से मेनन उनका भरोसा जीत चुके थे। सीएम को अब संगठन पर पकड़ बनाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करना पड़ेगी, अभी तक वह मेनन के भरोसे रहते थे। अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कार्यकाल अभी महज डेढ़ साल का हुआ है। नए संगठन महामंत्री सुहास कुमार को संगठन का खास अनुभव नहीं। इसका संकेत यही है कि आगामी विधानसभा-लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।

क्यों हटाए गए
संगठन महामंत्री एवं प्रचारक के नाते मेनन की कार्यशैली से भी संघ व पार्टी के नेता खुश नहीं थे। संघ ने करीब छह-सात महीने पहले प्रदेश में तैनात संगठन मंत्रियों को भी हटाया गया था। कार्यकर्ता उनसे असंतुष्ट होने लगे थे जिससे संगठन का स्ट्रक्चर मजबूती खोने लगा था। योग्य लोगों को आगे नहीं बढ़ाने का उन पर मुख्य आरोप रहा। सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, अनिल दवे, जयंत मलैया, हिम्मत कोठारी, प्रभात झा, राकेश सिंह एवं अनूप मिश्रा जैसे प्रदेश के वरिष्ठ नेता उनसे नाखुश थे। संघ एवं पार्टी हाईकमान के सामने यह बात लगातार पहुंचाई जा रही थी।

इसलिए रुकवाई थी टीम
इस बदलाव को लेकर अब यह स्पष्ट हो गया कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान की कार्यकारिणी इसलिए रुकवाई गई थी। संघ सबकी सहमति से निर्णय करना चाहता था, इस पद के लिए पराग अभ्यंकर एवं सुहास कुमार भगत के नामों पर विचार किया गया। बाद में भगत के नाम को हरी झंडी दे दी गई। इस निर्णय के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश भाजपाध्यक्ष अब जल्दी ही अपनी टीम की घोषणा कर देंगे।

बाद में बने प्रचारक
अरविंद मेनन को संघ ने प्रचारक दर्जा सह संगठन महामंत्री बनने के बाद दिया, इसके बाद उनकी पदोन्नाति की गई। उन्हें प्रचारक घोषित कराने में माखन सिंह एवं संघ प्रमुख रहे सुदर्शन की अहम भूमिका रही।

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