जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड द्वारा अग्रिम राशि जमा कराने के बाद नए सिरे से विज्ञापन निकालकर आवास आवंटन का मूल्य बढ़ाए जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ राज्य शासन व मध्यप्रदेश राज्य गृह निर्माण मंडल को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता सागर निवासी अनुपमा रावत व शरद यादव की ओर से अधिवक्ता एमआर वर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पूर्व में हाउसिंग बोर्ड ने विज्ञापन निकाला जिसके तहत 6 लाख रुपए मूल्य के हिसाब से आवास आवंटन का निर्धारण किया गया। इसके लिए अग्रिम राशि 59 लाख 600 रुपए जमा कराई गई। कायदे से शेष राशि जमा कराकर आवास आवंटित किया जाना था। लेकिन ऐसा न करते हुए 2016 में नए सिरे से विज्ञापन निकाल दिया। जिसमें उन्हीं आवासों का मूल्य बढ़ाकर 18 लाख कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि या तो उन्हें शेष राशि जमा कराकर आवास पुराने मूल्य पर दिए जाएं, या फिर 5-5 लाख का मुआवजा व जमा राशि का ब्याज सहित भुगतान हो। अधिवक्ता एमआर वर्मा ने दलील दी कि पूर्व में राजधानी भोपाल में भी ऐसा ही मामला प्रकाश में आ चुका है, जिसमें राज्य के कई नामी-गिरामी लोगों को अग्रिम जमा कराने के बाद मौजूदा बाजार रेट के हिसाब से अधिक राशि जमा करने विवश किया गया। जिसके खिलाफ वे हाईकोर्ट चले आए थे।