
MCI को कार्रवाई के लिए लिखा
उधर जिन डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए थे, उनके भी जवाब स्वास्थ्य विभाग को मिल चुके हैं। सभी ने अपने आपको पाक-साफ बताया है। हालांकि सीएमएचओ इनके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए एमसीआई को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जा रहा है। वहीं पलाश की जिस महिला स्टाफ मेंबर को नोटिस जारी किया गया था, उसके द्वारा लिखित में जो पत्र दिया गया है उससे पलाश अस्पताल का संचालक धोखाधड़ी के केस में भी उलझ सकता है।
आशा कार्यकर्ताओं की लिस्ट मांगी
पुलिस ने पलाश अस्पताल के प्रबंधक टीके गुप्ता और सहायक प्रबंधक अरुण सिंह भदौरिया से पूछताछ के बाद यह खुलासा किया था कि इस मामले में 80 आशा कार्यकर्ताएं भी शामिल थीं। इस नई जानकारी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के होश उड़ा दिए हैं, क्योंकि ऐसे में कुछ शासकीय कर्मचारियों के भी इससे जुड़े होने की संभावना बढ़ जाती है। यही वजह है कि सीएमएचओ डॉ. अनूप कम्ठान ने मुरार सीएसपी अखिलेश रैनवाल को पत्र लिखकर आरोपी आशाओं के नाम पूछे हैं।
कार्रवाई क्या करेंगे
दिलचस्प बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग जानकारी तो मांग रहा है लेकिन कार्रवाई का अधिकार इनके पास है ही नहीं। ऐसे में विभाग केवल कार्रवाई का प्रस्ताव ही भेज सकता है, क्योंकि आशाओं की नियुक्ति ग्राम सभा द्वारा की जाती है, लेकिन विभाग इस मामले में कोई भी रिस्क लेने से बच रहा है। इसलिए पुलिस को आनन-फानन में पत्र लिखकर सूची मांगी गई है।
एक आशा 2 डिलेवरीः
एक आशा माह में दो डिलेवरी केस लेकर आती है। ऐसे में यदि 80 आशा जुड़ी हुई हैं तो डिलेवरी की संख्या काफी अधिक हो जाती है। चूंकि पलाश निजी अस्पताल था और गैरकानूनी काम भी कर रहा था, ऐसे में विभागीय सूत्रों की मानें तो अधिक रकम मिलती होगी। जिसके कारण आशाएं ज्यादातर केस यहां ले जाती होंगी। गौरतलब है कि जिले के अंतर्गत शहरी क्षेत्र में 230 शहरी आशाएं हैं, जबकि गांव में करीब 640 आशाएं हैं। पलाश हॉस्पिटल के काले कारनामों में शहरी व हस्तिनापुर क्षेत्र की आशाओं के जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
डॉक्टरों के जवाब, हम पाक-साफ
पलाश अस्पताल से जुड़े डॉ. अभिषेक वाजपेयी, डॉ. दिनकर, डॉ. सुशील शर्मा ने नोटिस मिलने के बाद जो जवाब दिए हैं, उसमें खुद को पाक-साफ बताते हुए गड़बड़ी की जानकारी नहीं होने की बात कही है। कुछ ने यह भी कहा है कि वह केवल तीन माह ही जुड़े रहे हैं और वह भी केवल ओपीडी के लिए जाते थे, जबकि निधि मिश्रा एवं गौरव मिश्रा ने जवाब में यह भी लिखा है कि उनके द्वारा रजिस्ट्रेशन कैंसल किए जाने की बात अस्पताल छोड़ते समय ही सीएमएचओ कार्यालय में कही थी।
एमसीआई को लिखा पत्रः
निधि मिश्रा और गौरव मिश्रा को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी के जवाब असंतोषजनक पाए गए हैं। ऐसे में डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शुक्रवार शाम को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा गया है। जिसमें डॉक्टरों के खिलाफ वैधानिक दंडात्मक कार्रवाई या पंजीयन निरस्ती की कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
महिला बोली-मैं तो इंटरव्यू देने गई थीः
पलाश अस्पताल के स्टाफ के रूप में महिला बुलबुल हलदर का नाम सामने आने के बाद वह खुद सीएमएचओ कार्यालय में पहुंची थी। यहां उसने एक सादा कागज पर लिखकर दिया था कि उसने कभी भी पलाश अस्पताल में नौकरी नहीं की है। वह केवल एक बार नौकरी मांगने के लिए वहां गई थी, इस दौरान उसने वहां कागजात भी जमा किए थे। महिला ने आशंका जताई थी कि अस्पताल प्रबंधक ने उसके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया है। यदि महिला का कहना सही है तो अस्पताल प्रबंधन धोखाधड़ी के मामले में भी उलझ सकता है।