
33 साल के सीआरपीएफ जवान अनिल अचनकुंजु की 24 मार्च को छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौत हो गई थी. जब घर वालों ने देखा कि प्लास्टिक में पैक होने की वजह से शव सड़ चुका है तो उन्होंने शव लेने से इंकार कर दिया.
उन्होंने सीआरपीएफ की इस लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया. परिजनों का कहना था कि उन्होंने अनिल के शव का अपमान किया है. अनिल के परिजनों का गुस्सा देखकर जिला कलेक्टर ने मामले में दखल देते हुए आश्वासन दिया कि शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा. इसके बाद शनिवार को अनिल का शव हरिपद के एक प्राइवेट अस्पताल के मुर्दा घर में रखवा दिया गया. रविवार को अनिल का अंतिम संस्कार किया गया.
परिजनों ने बताया कि उन्हें अनिल की मौत की खबर गुरुवार को मिली थी. इसके बाद शनिवार को अनिल का शव घर पहुंचा था. उन्होंने बताया कि शव प्लास्टिक में पैक था. शव को सड़ने से बचाने के लिए किसी तरह के केमिकल का भी इस्तेमाल नहीं किया गया था. हालत ऐसी थी कि शव से बदबू आने लगी थी.
बीजापुर के सीआरपीएफ डीआईजी धीरज कुमार ने बताया कि अनिल बस्तर के रेड्डी इलाके में तैनात थे. 24 मार्च को उन्हें एक पानी की टंकी के अंदर बेहोश हालत में पाया गया. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया. वहां पर डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके शव को बीजापुर में एक डीप फ्रीजर में अगले दिन तक रखा गया. बाद में उनके शरीर को हेलिकाॅप्टर के द्वारा रायपुर ले जाया गया. वहां पर जवान का शव एक नए ताबूत में रखकर तिरुवनंतपुरम भेज दिया गया. करीलाकुलंगरा के सब इंस्पेक्टर ने बताया कि परिजनों के कहने पर सीआरपीएफ की लापरवाही के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. अनिल छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित इलाके में ड्यूटी पर थे. शव पैक होने में देरी की वजह से खराब हो गया था.