मप्र की आंगनबाड़ियों में बंटेगा 2011 में सड़ चुकी धान का चावल

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। बालाघाट जिले मे किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को राईस मिलर्स से कस्टम मिलिंग करवाकर नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खरीदा जा रहा है। जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं, आंगनबाडी तथा मध्यान्ह भोजन मे वितरित किया जा रहा है। बालाघाट जिले के राईस मिलर्स जिन्होने नागरिक आपूर्ति निगम से चावल प्रदाय करने का अनुबंध किया है वे मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ जबलपुर द्वारा पिछले 3-4 वर्षों के दौरान समर्थन मुल्य पर खरीदी गई धान जो रखरखाव मे लापरवाही, कडी धूप और पानी से गीली हो जाने के कारण उपयोग के काबिल नही रह गई थी जिसे विपणन संघ द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया था और उसे टेण्डर के माध्यम से औने पौने दामों मे बेचा गया था। उसी रिजेक्ट धान का चावल रिसाईकिलिंग कर नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदाय कर रहे हैं। 

रिसाईकिलिंग किया गया चावल बनाना और उसे प्रदाय करना प्रतिबंधित है और उसे अपराध की श्रेणी मे माना गया है। अकेले बालाघाट जिले मे इस तरह लगभग 10 लाख क्विंटल धान टेण्डर के माध्यम से खरीदी गई उसी धान का चावल बनाकर नागरिक आपूर्ति निगम को प्रदाय कर रहे हैं। रिसाईकिलिंग किया गया चावल किसी भी मापदण्ड से खरीदा नही जा सकता लेकिन राईस मिलर्स और नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की सांठगांठ के चलते रिसाईकिलिंग किया गया अखादय चावल धडल्ले से खरीदा जा रहा है जो जिले के गोदामों मे संग्रहित कर रखा गया है। 

नियमानुसार राईस मिलर्स से लिये जाने वाले चांवल के प्रत्येक लाट का सेम्पल सुरक्षित रखा जाना चाहिये लेकिन प्रत्येक लाट के अनुसार सेम्पल जांच हेतु लिये नही जा रहे है, इस तरह प्रत्येक लाट का सेम्पल कराया जाये तो वास्तविकता का पता चल जायेगा। यह भी उल्लेखनीय है कि जिस धान की प्रजाति का चावल बनाकर प्रदाय किया जा रहा है उस प्रजाति की धान बालाघाट जिले मे पैदा ही नही होती। 

वहीं आपूर्ति निगम को जिन बोरों मे भरकर रिसाईकिलिंग किया हुआ चावल प्रदाय किया जा रहा है उसमे खरीदी गई धान के वर्ष 11-12, 12-13 की छपाई दिखाई दे रही है खादय सुरक्षा एवं गुणवत्ता नियंत्रण अधिनियम 2013 मे निहित प्रावधानों के अनुसार रिसाईकिलिंग किये हुये चावल पर तत्काल बंदिश लगाने तथा प्रदायकर्ताओं के विरूद्व कडी कार्यवाही की जानी चाहिये। इस आशय का एक पत्र कलेक्टर बालाघाट को दिनांक 18 मार्च 2016 को दिया जा चुका है जिसकी जांच के लिये उन्होने जिला खादय एवं आपूर्ति अधिकारी को जांच के निर्देश दिये हैं।

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