
इसके बाद परिजन बेटी के शव को गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए इलाहाबाद ले गए. करीब 35-36 घंटे बाद उसे पत्थरों से बांधकर नदी में प्रवाहित कर दिया. परिजनों ने बताया कि जब वे बच्ची के शव को प्रवाहित करने के बाद घर लौट आए, तो उस दौरान गंगा तट पर वृंदावन के साधु-संतों की बच्ची पर नजर पड़ गई. संत वहां से बच्ची को निकालकर डॉक्टर के पास ले गए, जहां कुछ दिनों बाद वह स्वस्थ्य हो गई.
इसके बाद वह साधुओं के साथ रहने लगी. संतों ने उसका नाम किशोरी रख दिया. अब किशोरी ने भागवत कथा वाचन भी सीख लिया है. हालांकि, यह पता नहीं चला कि किशोरी किस जगह मिली थी.
ऐसे हुई पिता की बेटी से मुलाकात
बेटी को मृत मान चुके पिता तब आश्चर्यचकित हो गए, जब उनको पता चला कि स्वाति उमरिया जिले के मुड़गुड़ी में भागवत कथा वाचन के लिए आई है. जब स्वाति के पिता झुरू उससे मिलने पहुंचे, तो वह उन्हें पहचान गई. वहीं, पिता ने भी रुंधे गले से बेटी को गले लगा लिया. यह नजारा देख आसपास के लोग भी द्रवित हो उठे. यह खबर फैलते ही गांव के सैंकड़ों लोग और रिश्तेदार स्वाति उर्फ किशोरी को देखने के लिए उमड़ पड़े. वहीं, स्वाति के परिजनों ने भी इस खुशी में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन कराया.