मां ने जेवर गिरवी रखकर पढ़ाया था, बेटे ने 100 करोड़ की कंपनी बना दी

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ओडिशा के सुब्रत जब इंजीनियर बनना चाहते थे, तो उनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे के इस सपने को उड़ान दे सके। सुब्रत की मां ने अपने बेटे के सपनों के बीच पैसे की कमी को कभी नहीं आने दिया। उनका बेटा इंजीनियर बने, इसके लिए सुब्रत की मां ने अपने गहने गिरवी रख दिए। सुब्रत ने एक प्राइवेट कॉलेज में केमिकल इंजीनियरिंग शाखा में दाखिला ले लिया। 

अपनी पढ़ाई पूरी के बाद सुब्रत ने कई बड़ी कंपनियों के साथ काम किया, लेकिन वह अपना बिज़नेस करना चाहता थे, जिसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की। आज महज़ 2 साल के अंदर उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 100 करोड़ का है। 

सुब्रत एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते है। उनके पिता किसान हैं, जबकि मां घर संभालती हैं। जब सुब्रत इंजीनियरिंग कर रहे थे, तभी उनकी रूचि आईटी क्षेत्र में बढ़ी। उन्होंने यूट्यूब देखना शुरू किया। यूट्यूब पर वह आईटी से जुडी हुई वीडियोज देखते थे, यहीं से उन्हें अपने बिज़नेस का विचार आया। सुब्रत कर अपने परिजनों के साथ यूट्यूब पर वीडियो देखते-देखते उन्हें वीडियो एनालिसिस का ख्याल आया, जिसमें यह पता लगाया जा सके कि कौन किस तरह के वीडियो देखता है। इसके लिए सुब्रत ने खुद ही प्रयोग करने शुरू कर दिए। 

सुब्रत जैसे ही पास हुए उनकी नौकरी ई-कॉमर्स कंपनी जबोंग में लग गई। वह प्रोडक्ट मैनेजमेंट देखते थे। एक तरफ नौकरी तो चल ही रही थी, साथ में उनकी प्रोडक्ट एनालिसिस की क्षमता बढ़ने लगी। अपने काम के दौरान मिले अनुभवों से उन्होंने बहुत कुछ सीखा, जो बाद में उनके बिजनेस में कारगर साबित हुआ। सुब्रत एक एनालिटिकिल कंपनी बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। 

बिज़नेस शुरू करने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। उन्होंने दो दोस्तों के साथ मिलकर करीबन तीन लाख रुपए जुटाए। इसके साथ ही शुरू हुई, विडूली नाम की कंपनी। आज यह कंपनी जिस तेजी के साथ आगे बढ़ रही है, वह वाकई काबिले तारीफ है। इस कंपनी को नैस्कॉम ने देश की टॉप टेन इमर्जिंग कंपनियों की सूची में रखा है। सुब्रत की कंपनी आज सालाना 15 करोड़ का बिज़नेस कर रही है। और तो और कई विदेशी कंपनियां, इस कम्पनी को करोड़ों में खरीदने के लिए तैयार बैठी हैं। 

सुब्रत का केमिकल इंजीनियरिंग से आईटी के क्षेत्र में आना कुछ लोगों को अजीब लगता होगा, लेकिन डिग्री अपनी जगह है और रूचि अपनी जगह। सुब्रत ने अपनी रूचि को चुना। यही वजह है कि आज वह इस मुकाम पर हैं। सुब्रत मानते हैं कि जो हम अपने अनुभवों, पढ़ाई, काम करते हुए जो भी हम सीखते हैं, वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
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