नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के 159 किसानों की गलत तरीके से नीलाम की गई करोडों की जमीन को वापस लौटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह फैसला प्रदेश की जिला सहकारी बैंक के उस मनमानी पूर्ण निर्णय के खिलाफ दिया है, जिसमें बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मात्र 12 से 17 हजार रुपए तक के कर्ज को समय न चुका पाने पर इन किसानों की जमीनों को कुर्क औने-पौने दामों में नीलाम कर दिया था।
कोर्ट ने इस मामले में बैंक के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमाफिया से मिली भगत की संदिग्धता के आधार पर इस पूरे मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस को करने का आदेश दिया है। साथ ही बैंक के दोषी अधिकारियों- कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का भी आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट में किसानों की ओर से इस मामले में बहस वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दी।
इस मामले से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता करीम अंसारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। साथ ही बैंक की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने अपने फैसले में जहां किसानों की जमीन वापस लौटाने को कहा है,वहीं किसानों से भी बैंक का बकाया ब्याज के साथ चुकता करने को कहा है।
अधिवक्ता अंसारी के मुताबिक मप्र के किसानों के यह सलूक वर्ष 1985-86 के दौरान किया गया। इस मामले में दो किसान, जिसमें आजम खान और अकबरी बानों के नाम शामिल है, ने कोर्ट ने बैंक के इस निर्णय हाईकोर्ट ने चुनौती दी, लेकिन शुरूआत में हाईकोर्ट ने किसानों के खिलाफ फैसला दिया था,लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने भी अपने निर्णय को बदलते हुए किसानों की जमीन वापस देने को कहा था।
लाखों की जमीन 50 हजार में कर दी थी नीलाम
अधिवक्ता अंसारी ने बताया कि कई ऐसे किसान थे, जिनका कर्ज मात्र 12 से 17 हजार के बीच था,लेकिन इसके बदले उनकी पांच एकड़ जमीन नीलाम कर दी गई थी।वह मात्र 50 हजार रुपए में। जबकि गाइड लाइन के तहत इन जमीनों की कीमत उस समय भी करीब चार से पांच लाख रुपए के बीच थी।