
शिवकुमार शर्मा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को एक फ्रॉड बताते हुए कहा कि इससे किसानों को कुछ भला नहीं होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का विरोध जताने के लिए हजारों किसान महासम्मेलन स्थल शेरपुर जाकर प्रधानमंत्री के सामने नारेबाजी कर विरोध जताएंगे। शिवकुमार शर्मा का कहना है कि केन्द्र एवं राज्य सरकार ने अपने घोषणा पत्र में फसल बर्बाद होने पर किसानों को उनकी लागत से डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अधिकतर किसानों को अभी तक मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ। इस संबंध में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
शिवकुमार शर्मा का कहना है कि 20 जनवरी 2015 को सरकार द्वारा कोर्ट में एक शपथ पत्र पेश किया गया जिसमें साफ लिखा था कि सरकार किसानों को डेढ़ गुना मुआवजा देने में असमर्थ है। शिवकुमार शर्मा का कहना है कि जब सरकार को मुआवजा देना ही नहीं था, तो किस आधार पर घोषणा पत्र में डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजा देने की बात लिखी गई। शिवकुमार शर्मा का कहना है कि हर वर्ष 15 मई को किसानों का राजपत्र प्रकाशित होता है जिसमें किसानों की फसलों की विस्तृत जानकारी लिखी होती है। शिवकुमार शर्मा का कहना है कि राजपत्र प्रकाशित होने के दो महीने बाद किसान अपनी फसल बोता है। जब किसान को ही नहीं पता कि वह क्या फसल बोऐगा, तो सरकारी महकमा किस आधार पर राजपत्र प्रकाशित कर रहा है।
शिवकुमार शर्मा का कहना है कि यही कारण है कि राजपत्र में सभी किसानों के फसलों की जानकारियां प्रकाशित नहीं हो पाती। जब किसानों की फसलें बर्बाद होती है, तो राजपत्र में नाम न होने के कारण उन्हें मुआवजा राशि नहीं मिल पाती। यही कारण है देश में किसानों के आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
शिवकुमार शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अभी तक कोई स्वरूप स्पष्ट नहीं होने के बावजूद किसानों को सौगात जैसे शब्दों के साथ केन्द्र सरकार स्वयं अपनी पीठ थपथपा रही है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा अल्प समय में अनेक किसान विरोधी निर्णय लिए हैं, जिसका खामियाजा गरीब व बेबस किसानों को भुगतना पड़ रहा है। शिवकुमार शर्मा का कहना है कि यदि समय रहते किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो देश के करीब बीस हजार से ज्यादा किसान दिल्ली का घेराव करेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खामियां:—
इस योजना में कम्पनियों व राज्य सरकारों से राय ली जा रही है, लेकिन किसान संगठनों से राय नहीं ली जा रही।
प्रिमियम एक प्रतिशत कम कर क्षतिपूर्ति 10 प्रतिशत कम कर देने से किसानों को नौ प्रतिशत का घाटा होगा।
जंगली जानवरों के कारण होने वाले तथा अन्य प्रकार के नुकसान होने पर बीमा नहीं मिलेगा।
अप्राकृतिक आग लग जाने पर बीमा नहीं मिलेगा।