
उन्होंने कहा कि 21 फरवरी को प्रदेश के सभी 761 मंडलों में धिक्कार दिवस मनाया जायेगा और राष्ट्र विरोधी तत्वों, तोड़क शक्तियों, जनता को गुमराह करने वालों के विरूद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जेएनयू साम्यवादियों का गढ़ बनकर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर राष्ट्र को खंडित करने की साजिशो को खुला समर्थन दे रहा है। यदि अभिव्यक्ति की आजादी के मायने बौद्धिक बहस है तो परिसर में बाबा रामदेव को कदम क्यों नहीं रखने दिया। राष्ट्रवादी तत्वों को प्रवेश देने में क्यों गुरेज किया गया। देश की राष्ट्र राज्य के रूप में जिस सरचना का हमने शपथ पूर्ण संकल्प लिया है उसकी अखण्डता के साथ समझौता कैसे किया जा सकता है। कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी इसे शैक्षिक आजादी बताकर देश के तोड़ने वालों का समर्थन करके स्वयं कांग्रेस की परंपराओं को पलीता लगाकर कांग्रेस के पतन का मार्ग प्रषस्त कर रहे है।
श्री नंदकुमारसिंह चौहान ने जेएनयू के मामले में भारत सरकार की सजगता और केन्द्र सरकार द्वारा की गयी कार्यवाही का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवादी की बरसी मनाकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को न्याय की हत्या बताया जाना कौन सी बौद्धिक आजादी है। यह निरा राष्ट्र विरोध, संविधान की शपथ का उल्लंघन है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम होगी। आपने कहा कि 21 फरवरी को राष्ट्र विरोधी शक्तियों को बेनकाब करने के लिए आयोजित धिक्कार दिवस पर सेकुलरवाद के छद्म का नकाब उतारा जायेगा। देश का हर राष्ट्रवादी धिक्कार दिवस में शामिल होकर भारत की जिजीविषा को कमजोर करने की आजादी नहीं दी जायेगी। साम्यवादियों की हरकत देश में राष्ट्रवाद की भावना को कमजोर करना रहा है।