
उक्त आदेश के साथ ही हाईकोर्ट परिसर में हंगामे की स्थिति निर्मित हो गई। त्रिवेदी समर्थक वकीलों ने परिसर में एकत्र होकर इस फरमान को तानाशाहीपूर्ण निरूपित किया। हाईकोर्ट बार के सिल्वर जुबली सभागार में भी इस सिलसिले में घंटों मंत्रणा का दौर चलता रहा। स्वर्ण जंयती भवन से लेकर विधि भवन और जिला बार परिसर में वकीलों के बीच दोपहर से शाम तक यही मुद्दा चर्चा का विषय रहा। जिसने भी यह सुना कि श्री त्रिवेदी की सनद निलंबित कर दी गई है, वही भौंचक्का रह गया।
स्टेट बार के वरिष्ठ सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार
वकीलों के मुताबिक श्री त्रिवेदी न केवल हाईकोर्ट बार अध्यक्ष बल्कि वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में अध्यक्ष पद के दावेदार भी हैं। यही नहीं वे स्टेट बार कौंसिल के वरिष्ठ निर्वाचित सदस्य भी हैं। राज्यभर के वकीलों ने उनका निर्वाचन किया है। ऐसे में इतने शक्तिसम्पन्न व लोकप्रिय अधिवक्ता-नेता के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? स्वयं अधिवक्ता श्री त्रिवेदी का कहना है कि सनद निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई की चेतावनी देने का अधिकार सिर्फ स्टेट बार अनुशासन समिति को है, वह भी कदाचरण की ठोस शिकायत सामने आने पर। उस संदर्भ में भी कोई कार्रवाई से पहले शोकॉज आदि आवश्यक है।
तदर्थ कमेटी गठित हो चुकी है, जिसे सौंपना होगा प्रभार
इधर स्टेट बार अपील समिति के चेयरमैन अधिवक्ता शिवेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि स्टेट बार ने विधिवत तदर्थ कमेटी गठित कर दी है, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चन्द्र दत्त सहित 7 सदस्य हैं। नियमानुसार हाईकोर्ट बार अध्यक्ष श्री त्रिवेदी व उनकी कार्यकारिणी को नवीन चुनाव सम्पन्न कराने का प्रभार तदर्थ कमेटी को सौंप देना चाहिए। चूंकि ऐसा न करते हुए अपने स्तर पर नियुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन दुबे व उनके सहयोगी चुनाव अधिकारियों के जरिए चुनाव सम्पन्न कराने की जिद पकड़ ली गई है, अतः स्टेट बार अपील कमेटी को अपना रुख सख्त करने विवश होना पड़ा। इसके तहत उनकी सनद तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी गई है। यदि वे 22 फरवरी को शाम 4 बजे तक स्टेट बार में लिखित सूचना देकर प्रभार तदर्थ कमेटी को सौंप देंगे, तो उनकी सनद का निलंबन समाप्त हो जाएगा।