हरदा। जिले के छीपानेर गांव में ग्रामीण युवाओं ने नर्मदा नदी में एक तैरता हुआ पुल बनाया है. युवाओं के हौसले से तैयार इस पुल का निर्माण बिना किसी सरकारी सहायता और बिना किसी इंजीनियर की सहायता से किया गया है.जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर छोटी छीपानेर गांव के कम पढ़े-लिखे ग्रामीण युवाओं ने नर्मदा नदी में ऐसे पुल का निर्माण किया है, जिसे देखकर इंजीनियर भी चौंक जाएं.
खास बात यह है कि गांव के 25 युवाओं ने महज 75 दिनों तैरने वाला पुल बना दिया. 40 लाख रुपए की कीमत से बने इस पुल की लंबाई 650 मीटर है. इसके लिए करीब 20 लाख रुपए का लोन लिया गया और 20 लाख रुपए चंदा करके जुटाए गए. इस तैरते हुए पुल से पैदल यात्री और बाइक सवार नदी के पार कर सकेंगे. इस पुल को यदि सरकार के प्रशिक्षित इंजीनियर बनाते तो कम से कम 3 करोड़ रु और 1 साल का समय लगता।
छीपानेर में पीढ़ियों से नाव संचालन करने वाले परिवार के भगवान लोधी ने बताया कि, अभी तक नाव के जरिए ग्रामीण नदी पार करके जा पाते थे. जिससे शहर तक पहुंचने के लिए 20 किमी तक का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता था. अब समय की काफी बचत होगी. पुल के निर्माण में बीकॉम पास भगवान लोधी और उसके 10वीं-12वीं पास दोस्त शामिल हैं. जिन्होंने कुशल इंजीनियरों के माफिक काम करके दिखाया है. गांव ही नहीं आसपास के इलाके के लोग युवाओं की तारीफ करते नहीं थक रहे.
उधर, जनपद पंचायत टिमरनी के सीईओ एमएस एक्का ने बताया कि, नियम के मुताबिक इस पुल निर्माण की अनुमति दी गयी थी. जिसे कुशल गांव के कुशल कारीगरों ने कम समय में ही पूरा कर दिया. इस पुल की लागत निकालने के लिए जनपद पंचायत की तय दर से नाममात्र का 10 रुपए शुल्क लिया जाएगा.