अब आत्मदाह के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा: महिला IAS ने कहा

भोपाल। सरकार और लोकायुक्त पर लंबे समय से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते आ रहे आईएएस अफसर रमेश एस थेटे से शुक्रवार को वित्तमंत्री जयंत मलैया ने चर्चा कर भरोसा दिलाया है कि वे उनकी मांगों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अवगत करा देंगे।

थेटे ने इस बातचीत पर संतोष व्यक्त किया है। वहीं 27 महीने से निलंबित चल रहीं आईएएस अफसर शशि कर्णावत ने कहा है कि उन्हें जीवन तो ईश्वर ने दिया है, लेकिन सरकार उनसे जिंदगी छीनना चाहती है। जिन हालातों से वे गुजर रही हैं उसमें तो उनके सामने आत्मदाह करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। इधर भाजपा सांसद और रिटायर्ड आईएएस अफसर डॉ. भागीरथ प्रसाद ने भी बीजेपी कार्यालय में मीडिया से कहा कि सरकार को कर्णावत की बात सुनकर उनके साथ न्याय करना चाहिए।

थेटे ने मलैया से चर्चा के दौरान बताया कि उनके द्वारा उज्जैन की सीलिंग के मामले में जो फैसले लिए गए उन पर हाईकोर्ट यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दे चुका है। इसके बाद भी लोकायुक्त के दबाव में सरकार ने इस मामले में अभियोजन स्वीकृति देने के संबंध में कार्रवाई शुरू कर दी है। थेटे ने कहा, ‘पूर्व में आईएएस अफसरों स्वर्णमाला रावला, जयदीप गोविंद और एसके वशिष्ठ ने जो आदेश पारित किया उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे साफ है कि उन्हें जातिगत आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं 1993 बैच का सीनियर आईएएस अफसर हूं मेरे बैच के अन्य अफसरों को कैडर पोस्ट पर पदस्थ किया गया है, उन्हीं के समान मेरी पोस्टिंग की जाए। भेदभाव कर मुझे बाल आयोग में सचिव के बनाया गया है।
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उधर कर्णावत ने कहा, ‘मेरा निर्वाह भत्ता 50 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जाए। मैंने लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है। इसकी सुनवाई में समय लगेगा। ऐसी स्थिति में लोअर कोर्ट के आदेश को स्टे कर उनकी नौकरी में बहाली की जाए। साथ ही हाईकोर्ट में सरकार ‘ नो ऑब्जेक्शन’ फाइल करे।’ कर्णावत ने कहा कि उन्हें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फंसाया गया है।

थेटे-शशि के साथ न्याय नहीं हुआ : डॉ. प्रसाद 
डॉ. भागीरथ प्रसाद ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से कहा कि थेटे और शशि कर्णावत के न्याय नहीं हुआ। उनकी समस्या को सहानुभूति पूर्वक देखा जाना चाहिए। इन अधिकारियों के मन से यह भय निकल जाए कि वे दलित वर्ग से हैं। मुझे उम्मीद है कि सीएम और सीएस इस मामले में न्याय करेंगे। फिर किसी अधिकारी को यह महसूस नहीं होगा कि वह एक वर्ग विशेष का होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है।
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