भोपाल में कोलार और हमीदिया रोड पर हवा सांस लेने लायक नहीं

भोपाल। दिल्ली में धूल का गुबार और धुआं यानी रेस्पीरेशन सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) इतना खतरनाक हो गया कि कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा और दिल्ली सरकार को वाहन चलाने पर पाबंदी लगाना पड़ी। हमारा भोपाल भी इसी खतरे की ओर बढ़ रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपी पीसीबी) के आंकड़े बताते हैं कि भोपाल का प्रदूषण स्तर सामान्य से काफी अधिक पहुंच चुका है। आरएसपीएम का मानक स्तर 100 माइक्रोन प्रति एमक्यू होना चाहिए जो बढ़कर आम दिनों में 146 से 175 के बीच पहुंच रहा है।

राजधानी के कोलार और हमीदिया रोड पर हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण और धूल के कणों की मौजूदगी सामान्य से अधिक है। पीसीबी के सर्वे में हमीदिया रोड पर आरएसपीएम 146 माइक्रोन प्रति एमक्यू और कोलार में 142 माइक्रोन प्रति एमक्यू मिला है। जबकि इसका मानक स्तर 100 माइक्रोन प्रति एमक्यू है। एमपी पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी पीएस बुंदेला ने बताया कि शहर में आरएसपीएम के स्तर की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। वाहनों की संख्या के साथ इसका स्तर भी बढ़ा है।

चार जगह होती है जांच
पीसीबी ने गोविंदपुरा, कोलार रोड, हमीदिया रोड और पर्यावरण परिसर में आरएसपीएम मापने के आधुनिक यंत्र लगाए हैं। निर्धारित मानकों पर यंत्रों से प्रदूषण को मापा जाता है। इसमें पर्यावरण परिसर को छोड़ शेष तीनों स्थानों पर हवा सांस लेने लायक नहीं पाई गई है। पर्यावरण परिसर अरेरा कॉलोनी में आरएसपीएम का स्तर 65.8 माइक्रोन पर एमक्यू मिला है। यानी यहां की हवा प्रदूषण मुक्त है। इन चारों जगह पीसबी सप्ताह में दो दिन प्रदूषण की जांच करता है। इसके बाद हवा में प्रदूषण के आंकड़े तय किए जाते हैं। इसकी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) को जाती है।

कोलार में प्रदूषण चिंता का विषय
पर्यावरणविदें के मुताबिक यह आश्चर्यजनक है कि कोलार रोड प्रदूषण के मामले में हमीदिया रोड के बाद दूसरे स्थान पर है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि यहां स्वर्ण जयंती पार्क और पहाड़ियों पर हरियाली है। इसके बावजूद धूल के कणों का स्तर बढ़ना खतरनाक संकेत हैं।

  • यह हो सकती है बीमारी
  • त्वचा रोग
  • सांस लेने में तकलीफ
  • छाती में इंफेक्शन
  • दमा रोग
  • बार-बार सर्दी-खांसी होना
  • ठंड में निमोनिया की शिकायत


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  • यह रखें सावधानी
  • प्रदूषण वाले इलाकों में ज्यादा देर तक न रहे।
  • बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं खासतौर पर दूर रहें।
  • मास्क और दस्ताने पहनकर निकलें।
  • श्वांस रोगी ऐसे क्षेत्रों में न जाएं।


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