अध्यापकों को 6वां वेतनमान नहीं, संविलियन चाहिए

H  N Narwariya: यदि सरकार एक ही मांग मानती हँ तो अध्यापक साथियो मेरा इसमें स्पष्ट मत है की हमे शिक्षा विभाग में संविलियन वाली बात माननी चाहिए इसमें मेरा तर्क हँ की हम विभाग तो बचा ही लेंगे और सारी समस्याओ से निजात पा लेंगे और स्वाभिमान से जी सकेंगे। 

लेकिन एक गभीर बात भी बताना चाह राह हू समान कार्य और समान वेतन के रूप में हम 6ठा वेतन तो छोडो हमने 7 वे वेतनमान में भी दस्तक दे दी हँ जब मप्र के सभी कर्मचारियो शिक्षक संवर्ग के लोगो को 7 वां वेतन मिलेगा उसी डेट से अध्यापको को भी मिलेगा यँहा उल्लेखनीय हँ की हमारी गणना 2007 से की गयी हँ वो भी 6ठा वेतन और सामान कार्य समान वेतन की अंतर राशि को निकाल कर वो अंतर राशि विसंगति पूर्ण भले ही हो पर जब फिक्सेशन होगा तब विसंगति दूर हो जावेगी । 75% तो हम ले चुके हँ बाकी 25% भी मिल ही रहा हँ IR क्रमोन्नति सम्बन्धी सुधर भी हो जायेंगे , पर में उन महानुभावो हाथ जोड़ कर ये  निवेदन करूँगा जब दोनों में से एक मांग मानने की बारी तो सबसे पहले शिक्षा विभाग में संविलियन वाली मांग पहले मान लेना ये नई जीत हँ हमारे लिये । 

में एक बात स्पस्ट कर दू समान कार्य समान वेतन की लड़ाई हम जीत गए हँ बस 25% मिलना बाकी हँ वो तो मिलेगी ही पर विभाग हमे मिलता हँ तो समझो हम जंग जीत गए । इसलिए अंत में यही कहूँगा मीडिया के बहकावे में मत आना ना उन इलिट्रेट नेताओ के बहकावे में 6 ठा वेतन 6ठा वेतन वो तो मिल गया हँ आदेश में लिखा हँ जब जब अन्य संवेगों की वेतन बढ़ोत्तरी होगी उसी दिनांक से अध्यापक संवर्ग का वेतन बढ़ेगा ।

पर हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय हँ शिक्षा विभाग में संविलियन इसको नही छोड़ना हँ चाहे हमे जिस रूप में मिले पर इसको लेना हँ चाहे सरकार कितने भी हतकण्डे अपना ले इस बात पर ही अड़ना हँ हमे सिर्फ हमारा विभाग दे दो बस । 
भवदीय 
एच एन नरवारिया
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