भले ही तलाक पत्नी ने लिया हो, गुजारा भत्ता तो देना पड़ेगा

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मुंबई। पति-पत्‍नी के तलाक से जुड़े एक मामले में बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने निचली अदालत के एक फैसले को बरकरार रखा। निचली अदालत ने पति को आदेश दिया था कि वह अपनी पूर्व पत्‍नी को भरण पोषण का भत्‍ता दे। पति ने इस फैसले के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि उसकी पत्‍नी ने उसे 11 साल पहले छोड़ दिया, जिसकी वजह से यह तलाक हुआ। हाई कोर्ट ने पति के इस दावे को खारिज किया ,जिसमें उसने कहा था कि महिला ने उसे छोड़ दिया और वही तलाक का आधार बना, इसलिए वह पूर्व पत्‍नी के रखरखाव का खर्च देने के लिए जिम्‍मेदार नहीं है। 

क्‍या है मामला? 
तलाक के वक्‍त कोर्ट ने पति को आदेश दिया था कि वो अपनी पूर्व पत्‍नी को 450 रुपए महीने के हिसाब से गुजारा भत्‍ता दे। हालांकि, बाद में दोनों के बीच इस बात पर रजामंदी बनी कि पति अपनी पूर्व पत्‍नी को एक बार के सेटलमेंट के तौर पर 65 हजार रुपए देगा और बाद में महिला किसी तरह का मेंटनेंस नहीं मांगेगी। 

हालांकि, पत्‍नी ने जुडिशियल मजिस्‍ट्रेट के सामने अर्जी देकर गुजारा भत्‍ता दिए जाने की डिमांड की, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। इसके बाद, महिला सेशन कोर्ट पहुंची। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति उसे हर महीने के एक हजार रुपए दे। कोर्ट के इसी आदेश को पति ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पति ने दलील दी कि सेशन कोर्ट ने उसके और पूर्व पत्‍नी के बीच हुए करार को नजरअंदाज किया। 

क्‍या कहा हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ”एक तलाकशुदा महिला के तौर पर उसे उस शख्‍स से गुजारा भत्‍ता मांगने से रोका नहीं जा सकता, जो कभी उसका पति था। तलाक के बाद अगर कोई महिला निस्‍सहाय हो और अपना गुजारा नहीं चला सकती तो उसके पति रहे शख्‍स को वैधानिक तौर पर उसे गुजारा भत्‍ता देने का अपना कर्तव्‍य निभाना होगा।” कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले शख्‍स को आदेश दिया कि वह अपनी पूर्व पत्‍नी को तीन महीने के अंदर बकाए रकम का भुगतान करे। 
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